मेरी मां के पीछे पड़ी यूनुस सरकार, बांग्लादेश में चल रही कंगारू कोर्ट; भड़के हसीना के बेटे
- बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक संदेश भेजा है।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अमेरिका में रह रहे बेटे ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली देश की अंतरिम सरकार पर न्यायपालिका को हथियार बनाने और अवामी लीग के नेताओं को सताने के लिए “जासूसी” अभियान शुरू करने का आरोप लगाया है। हसीना के बेटे साजिब वाजेद ने यह आरोप तब लगाया है जब बांग्लादेश ने उनकी मां के भारत से प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका वापस भेजने के लिए भारत को एक राजनयिक संदेश भेजा है। भारत ने नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग से राजनयिक संदेश प्राप्त होने की पुष्टि की, लेकिन इस पर टिप्पणी करने से परहेज किया। बांग्लादेश के इस कदम से दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ सकता है।
साजिब वाजेद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबी पोस्ट में लिखा, “अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के माध्यम से चलाए जा रहे इस फर्जी अदालती प्रक्रिया को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बनाकर अवामी लीग के नेतृत्व पर हमला किया जा रहा है। यह न्याय का अपमान है।” वाजेद ने आरोप लगाया कि यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने न्यायपालिका का राजनीतिक उद्देश्य से दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि जुलाई और अगस्त के बीच मानवाधिकार उल्लंघन की हर घटना की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।
भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू
सोमवार को बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने घोषणा की कि शेख हसीना, उनके बेटे साजेब वाजेद और उनकी भतीजी व यूके के ट्रेजरी मंत्री तुलिप सिद्दीक पर 12.65 बिलियन डॉलर की रूसी परमाणु ऊर्जा परियोजना में 5 बिलियन डॉलर की हेराफेरी के आरोपों की जांच शुरू की गई है। साजिब वाजेद ने बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण को "कंगारू कोर्ट" बताते हुए कहा कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग ऐसे समय में आई है जब अवामी लीग के सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं की "गैर-न्यायिक हत्या" की जा चुकी है।
इंटरपोल नोटिस पर विवाद
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस प्रशासन द्वारा नियुक्त किए गए ट्रिब्यूनल के मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने इंटरपोल द्वारा हसीना के खिलाफ "रेड नोटिस" जारी करने का दावा कर "जानबूझकर गलत जानकारी" फैलाई। हालांकि, मीडिया में इस दावे के झूठे साबित होने के बाद उन्होंने अपना बयान बदल लिया।
भारत और बांग्लादेश के रिश्तों पर असर
यह प्रत्यर्पण अनुरोध भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर विस्तृत प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश भेजा जाना मुश्किल है क्योंकि वह नई दिल्ली की करीबी सहयोगी मानी जाती रही हैं।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने ढाका में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया के लिए उन्हें (हसीना) वापस ढाका भेजा जाए।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम पुष्टि करते हैं कि हमें प्रत्यर्पण अनुरोध के संबंध में आज बांग्लादेश उच्चायोग से एक पत्र प्राप्त हुआ है।’’ उन्होंने इस मामले पर फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया। हसीना (77) पांच अगस्त से भारत में निर्वासन में रह रही हैं। वह छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई थीं। इसके साथ ही लगातार 16 साल से जारी उनके शासन का अंत हो गया था।
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