पाकिस्तान में अब सरकार, सेना और ज्यूडिशरी की आलोचना करना होगा अपराध; लगेगा 20 लाख जुर्माना
इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण (संशोधन) विधेयक, 2025 को एक दिन पहले कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने सदन में पेश किया था।
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पाकिस्तानी संसद के निचले सदन ‘नेशनल असेंबली’ ने बृहस्पतिवार को साइबर कानून में विवादास्पद बदलावों को मंजूरी दे दी, जिसके तहत फर्जी खबर फैलाने पर तीन साल तक की जेल और 20 लाख पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना हो सकता है। इस बिल में सरकार, सेना और न्यायपालिका की आलोचना करने वालों को भी दंडित करने का प्रावधान शामिल है। बिल में कहा गया है कि आलोचना से जुड़ी सामग्री सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले व्यक्तियों या संगठनों को भी इन प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित कानून में कहा गया है, "'गलत सूचना' फैलाना अब एक आपराधिक अपराध होगा, जिसके लिए तीन साल तक की जेल और 20 लाख पाकिस्तानी रुपये ($7,150) का जुर्माना हो सकता है।" हालांकि, विपक्षी दलों और सदन की कार्यवाही को कवर करने के लिए मौजूद पत्रकारों ने बिल पेश होते ही सदन से और इस बिल का बहिष्कार किया।
इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण (संशोधन) विधेयक, 2025 को एक दिन पहले कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने सदन में पेश किया था। इस विधेयक को संक्षिप्त रूप में ‘पेका’ भी कहा जाता है, जिसे एक संबंधित समिति को भेजा गया, जिसने इसे सदन को वापस कर दिया और उद्योग एवं उत्पादन मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने इसे मतदान के लिए पेश किया।
बिल पर चर्चा के समय पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद, पार्टी के संस्थापक इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में सदन से वॉकआउट कर गए। विपक्षी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के सांसदों ने भी इस विधेयक का विरोध किया। कार्यवाही को कवर करने के लिए संसद की दीर्घा में मौजूद संवाददाता भी विधेयक का विरोध करने के लिए सदन से वॉकआउट कर गए क्योंकि उनका मानना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। विरोध प्रदर्शन का आयोजन पार्लियामेंट्री रिपोर्टर एसोसिएशन ने किया था।
विधेयक में, ऑनलाइन माध्यम से ‘‘फर्जी खबर’’ फैलाने वालों को दंडित करने के लिए धारा 26(ए) के तहत एक नया प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘‘जो कोई भी जानबूझकर किसी सूचना प्रणाली के माध्यम से कोई भी ऐसी सूचना सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित या प्रसारित करता है, जिसके बारे में वह जानता है कि वह झूठी या फर्जी है और जिससे आम लोगों या समाज में भय या अव्यवस्था या अशांति पैदा होने की संभावना है, उसे तीन साल तक की कैद या 20 लाख पाकिस्तानी रुपये (7,150 अमेरिकी डॉलर) तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।’’
विधेयक में, सोशल मीडिया संरक्षण एवं विनियामक प्राधिकरण की स्थापना का भी प्रस्ताव किया गया है, जो सोशल मीडिया से संबंधित विभिन्न कार्य करेगा, जैसे शिक्षा, जागरूकता, प्रशिक्षण, विनियमन आदि। यह विधेयक सीनेट या उच्च सदन द्वारा पारित किये जाने और फिर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित किये जाने पर कानून बन जाएगा।
इसके अलावा, नेशनल असेंबली ने सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री शाज़ा ख्वाजा द्वारा पेश किये गए 'डिजिटल नेशन पाकिस्तान बिल, 2024' को भी पारित कर दिया। इस विधेयक का उद्देश्य नागरिकों के लिए एक डिजिटल पहचान बनाना है, ताकि सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक डेटा को केंद्रीकृत किया जा सके और पाकिस्तान को एक डिजिटल राष्ट्र में परिवर्तित किया जा सके, जिससे डिजिटल समाज, डिजिटल अर्थव्यवस्था और डिजिटल शासन की व्यवस्था की जा सके।
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