जस्टिन ट्रूडो PM पद छोड़ो! कनाडा में उठने लगी मांग, कैसे पहली बार आया इतना मुश्किल वक्त
- फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद जस्टिन ट्रूडो के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। इसे ट्रूडो को राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी परीक्षा भी माना जा रहा है। सवाल यह भी है कि अलोकप्रिय होते जा रहे ट्रूडो अब कितने दिन तक पीएम रह सकेंगे। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने उनसे पद छोड़ने की भी मांग कर दी है।
कनाडा के पीएम जस्टिस ट्रूडो के लिए अगले साल होने वाले चुनाव से पहले मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनकी सरकार की डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही जस्टिन ट्रूडो को कमजोर बताते हुए आरोपों की बौछार भी कर दी। फ्रीलैंड को ट्रूडो की करीबी माना जाता था और वह उन कुछ मंत्रियों में शामिल थीं, जो पीएम के भरोसेमंद कहे जाते हैं। ऐसे में फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद जस्टिन ट्रूडो के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। इसे जस्टिन ट्रूडो को राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी परीक्षा भी माना जा रहा है। सवाल यह भी है कि अलोकप्रिय होते जा रहे ट्रूडो अब कितने दिन तक पीएम रह सकेंगे। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने उनसे पद छोड़ने की भी मांग कर दी है।
जस्टिन ट्रूडो कहते रहे हैं कि वह अगले चुनाव में भी लिबरल पार्टी का नेतृत्व करेंगे। लेकिन पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो चाहते हैं कि जस्टिन ट्रूडो इस बार नेतृत्व न करें। वह लगातार चौथी बार पीएम बनना चाहते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर ही खड़ी हो रही चुनौतियों से संकट खड़ा हो गया है। यही कारण है कि अब जस्टिन ट्रूडो के भविष्य पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। उनकी सरकार की ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर अनिता आनंद ने कहा, 'इस खबर से मुझे करारा झटका लगा है।' उन्होंने कहा कि इस खबर पर कोई टिप्पणी करने से पहले मुझे संभलने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।
वहीं विपक्ष के नेता पियरे पॉइलिवरे ने कहा कि सरकार अब अपना नियंत्रण खो रही है। यह उसका सबसे बुरा वक्त है। उन्होंने कहा कि जस्टिन ट्रूडो के हाथ से सरकार फिसल रही है, लेकिन वह अब भी बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थिति उस दौर में है, जब अमेरिका हमारे ऊपर 25 पर्सेंट अतिरिक्त टैरिफ लगा रहा है। ऐसे स्थिति में एक कमजोर सरकार कैसे देश की नीतियों को आगे बढ़ाएगी। जस्टिन ट्रूडो को लेकर एक बात और कही जा रही है कि आज तक कनाडा में कोई नेता लगातार चौथी बार पीएम नहीं बना। अब इसी इतिहास का जिक्र तेजी से हो रहा है, जब ट्रूडो की सरकार कमजोर दिख रही है।
बता दें कि कनाडा में अगले साल अक्तूबर से पहले आम चुनाव होने हैं। लिबरल पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम एक दल का समर्थन चाहिए। इसकी वजह यह है कि उनके पास स्पष्ट बहुमत नहीं है। यदि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने समर्थन वापस लिया तो फिर कनाडा में कभी भी चुनाव कराए जा सकते हैं। कनाडा में बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने और रहने-खाने की कीमतों में इजाफा होने से लोगों में नाराजगी है।
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