सिर्फ 30 दिन और दे दो, लेबनान छोड़ देंगे; नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप से क्यों मांगी मोहलत
- लेबनान सीजफायर में इजरायली सेना को 26 जनवरी तक लेबनान छोड़ना है, लेकिन उसकी सेना अभी भी पूरी ताकत के साथ डटी हुई है। नेतन्याहू ने ट्रंप से लेबनान में उसकी सेना के लिए 30 दिन और मांगे है।
इजरायल और लेबनान आतंकी हिजबुल्लाह के बीच पिछले साल 27 नवंबर को सीजफायर हुआ था। सीजफायर की शर्त के मुताबिक, इजरायल को 26 जनवरी तक अपनी सेना वापस लानी है, लेकिन इजरायल अभी भी पूरी ताकत के साथ लेबनान में डटा हुआ है। ऐइस बीच इजरायल ने डोनाल्ड ट्रंप से 30 दिन और मांगे हैं। पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका से कहा है कि वह सिर्फ 30 और चाहता है, तब तक उसकी सेना को लेबनान में अपना काम करने दिया जाए।
हिब्रू मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़रायल ने अमेरिका से दक्षिणी लेबनान से अपने सैनिकों की वापसी को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 30 दिनों का समय मांगा है। यह मांग हिज़बुल्लाह के खिलाफ नए ऑपरेशन के तहत मांगी गई है। इजरायल का मानना है कि हिजबुल्लाह ने अभी भी लेबनान में कई स्थानों पर हथियार,गोला-बारूद और विस्फोटक छिपाए हुए हैं, जो इजरायल की संप्रभुता के लिए खतरा हो सकता है।
इजरायली सेना को 26 जनवरी तक छोड़ना है लेबनान
दरअसल, 27 नवंबर को हुए युद्धविराम समझौते के तहत, इजरायली सेना को हिज़बुल्लाह के खिलाफ युद्ध को समाप्त करना था। आईडीएफ को 26 जनवरी तक दक्षिणी लेबनान में अपने सभी स्थान लेबनानी सशस्त्र बलों को वापस लाना है। जवाब में हिजबुल्लाह को लिटानी नदी के उत्तर में, इज़रायल की सीमा से लगभग 30 किलोमीटर (18 मील) दूर पीछे हटना है।
इजरायल क्यों चाहता है 30 दिन की मोहलत
हाल के हफ्तों में, इज़रायल ने आकलन किया है कि लेबनानी सेना ने साउथ में न के बराबर तैनाती की है, जिसके कारण IDF की वापसी में देरी हो रही है। दरअसल, इजरायल के मुताबिक, अभी भी साउथ लेबनान के कई हिस्सों में हिजबुल्लाह ऐक्टिव है और इजरायल विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है। इजरायली सेना ने पिछले कुछ दिनों में कई इलाकों पर छापेमारी भी की और हिजबुल्लाह के हथियार भंडारण का भंडाफोड़ किया था। इजरायल का आरोप है कि सीजफायर वाली जगहों पर हिजबुल्लाह अभी भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त है। सेना के अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा है कि लेबनानी सेना कुछ स्थानों पर ईरान समर्थित इस आतंकवादी समूह की मदद कर रही है।
सीजफायर की शर्त
पिछले साल 27 नवंबर को प्रभावी हुए युद्धविराम समझौते के तहत, इज़रायल को हिजबुल्लाह द्वारा की जाने वाली आतंकी गतिविधियों पर ऐक्शन लेने का अधिकार है। हालांकि ऐसी स्थिति में इजरायल को अपनी शिकायत अमेरिका, फ्रांस, लेबनान और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक बल UNIFIL के प्रतिनिधियों की एक निगरानी समिति को भेजनी होगी। इज़रायल ने इस समिति से अपनी पूर्ण वापसी के लिए अतिरिक्त समय मांगा है, लेकिन अगले तीन दिनों में उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों से पीछे हटने की योजना जरूर बनाई है।
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