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'खोए हुए स्वर्ग' को अपनी नई राजधानी बनाने जा रहा ईरान? अचानक क्यों शुरू हुई चर्चा

  • ईरान अपनी राजधानी तेहरान से बदलकर मकरान करने पर विचार कर रहा है। इस पर सबसे पहले विचार 1979 में किया गया था, लेकिन तब टाल दिया गया। बीते दिनों विदेश मंत्री ने मकरान की तुलना 'खोए हुए स्वर्ग' से की।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानWed, 19 Feb 2025 08:22 PM
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'खोए हुए स्वर्ग' को अपनी नई राजधानी बनाने जा रहा ईरान? अचानक क्यों शुरू हुई चर्चा

मुस्लिम राष्ट्र ईरान अपनी राजधानी तेहरान को बदलकर मकरान करने पर विचार कर रहा है। तेहरान पिछली दो सदी से ईरान की राजधानी रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां बढ़ती आबादी, ट्रैफिक जाम, जल संकट, प्रदूषण और जमीन के धंसने जैसी घटनाओं के कारण ईरान अपनी राजधानी स्थानांतरित करने पर विचार कर रहा है। कुछ दिन पहले ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने बयान दिया था कि सरकार 'खोए हुए स्वर्ग' को ईरान की नई राजधानी और देश का नया आर्थिक केंद्र में बदला जाना चाहिए।

ईरान में राजधानी बदलने पर सबसे पहले 1979 में विचार किया गया था, लेकिन तब वित्तीय और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण इसे टाल दिया गया था। अब फिर से ईरान के हुक्मरानों ने राजधानी बदलने को लेकर चर्चा शुरू कर दी है।

हाल ही में राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने राजधानी बदलने के मुद्दे को उठाया है। सरकार की प्रवक्ता फातेमेह मोहाजेरानी ने पुष्टि की कि मकरान क्षेत्र को एक संभावित नया स्थान माना जा रहा है। यह इलाका ओमान की खाड़ी के किनारे, सिस्तान-बलूचिस्तान और होर्मोज़गान प्रांतों में स्थित है।

नया आर्थिक केंद्र बनेगा मकरान?

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने मकरान को भविष्य का आर्थिक केंद्र बनाने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्र खुले समुद्री मार्ग तक पहुंच, क्षेत्रीय विकास और भूकंप के कम जोखिम के कारण उपयुक्त हो सकता है। लेकिन इसमें जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और भारी वित्तीय बोझ जैसी बड़ी चुनौतियां भी हैं।

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नई राजधानी को लेकर विरोध

कुछ विशेषज्ञों और नागरिकों ने इस कदम का विरोध भी किया है। पूर्व तेहरान मेयर पीरूज़ हनाची का मानना है कि राजधानी की समस्याओं को बेहतर निवेश और शहर के विकास से हल किया जा सकता है। 2024 में, तत्कालीन गृह मंत्री अहमद वाहिदी ने इस बदलाव की अनुमानित लागत 100 अरब डॉलर बताई थी।

अगर यह बदलाव होता है, तो यह ईरान की आर्थिक और रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाएगा, जिससे वह दुबई और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। हालांकि, इसे लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी।

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