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ना खुद की सेना और ना पावर... इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नहीं ज्यादा दम, अबतक कितनों को दिलाई सजा

  • आईसीसी ने नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। एक साल पहले पुतिन के खिलाफ भी यही आदेश दिया था। आईसीसी के इस आदेश में कितना दम है और यह अदालत काम कैसे करती है?

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानThu, 21 Nov 2024 10:40 PM
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गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया। आईसीसी ने इजरायली पीएम के खिलाफ यह आदेश गाजा में भीषण रक्तपात के आरोपों के बाद लिया है। यह पहली बार नहीं है, इससे पहले यूक्रेन में लाखों के कत्ल के चलते आईसीसी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। आईसीसी का यह वारंट कितना कारगर होगा, इससे पहले हमें यह जानना जरूरी है कि आईसीसी के पास कितनी पावर है और इसके गिरफ्तारी वारंट में कितना दम है?

आईसीसी के सदस्य देशों में भारत, अमेरिका और इजरायल नहीं

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का गठन साल 2002 में हुआ था। पिछले 22 वर्षों में आईसीसी मान्यता और शक्ति की कमी से जूझ रहा है। आईसीसी के पास न तो कोई अपनी सेना है और न ही कोई पावर। 124 देशों द्वारा आईसीसी को मान्यता प्राप्त है। जल्द ही इसके यूक्रेन के भी शामिल होने की संभावना है। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है। यहां गौर करने वाली बात है कि भारत, अमेरिका और इजरायल इसके सदस्य देश नहीं हैं।

किन मामलों में मुकदमा चलाता है आईसीसी

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट एक वैश्विक न्यायालय है। इसके पास नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध और युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाने की शक्ति है। गुरुवार को इसने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और योआव गैलेंट के साथ-साथ हमास के सैन्य कमांडर के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इन पर निर्दोषों के नरसंहार के आरोप हैं।

कितनों पर ऐक्शन के आदेश

आईसीसी किसी भी मामले में सुनवाई या हस्तक्षेप करता है, जब संबंधित देश मुकदमा चलाने में असमर्थ हो या चलाना नहीं चाहता हो। यह केवल 1 जुलाई 2002 के बाद किए गए अपराधों से निपट सकता है। आईसीसी को केवल उस देश पर किए गए अपराधों के लिए क्षेत्राधिकार प्राप्त है, जो किसी देश के नागरिक द्वारा किए गए अपराधों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाते हैं।

मार्च 2012 में अदालत का पहला फैसला कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के एक मिलिशिया के नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ दिया था। उन्हें उस देश में युद्ध अपराधों का दोषी ठहराया गया और जुलाई 2012 में 14 वर्ष की सजा सुनाई गई। ICC के सामने पेश किए जाने वाले हाई प्रोफ़ाइल मामलों में आइवरी कोस्ट के पूर्व राष्ट्रपति लॉरेंट ग्बाग्बो भी हैं। उन पर 2011 में हत्या, बलात्कार, उत्पीड़न और "अन्य अमानवीय कृत्यों" के आरोप लगे, लेकिन उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।

आईसीसी ने युगांडा के विद्रोही आंदोलन के आरोपी लॉर्ड्स रेजिस्टेंस आर्मी के नेता जोसेफ कोनी के खिलाफ भी मुकदमा चलाया। उन पर मानवता के विरुद्ध अपराध और युद्ध अपराध का आरोप लगा। उन पर हज़ारों बच्चों के अपहरण भी आरोप लगे। अदालत के पास सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध के लिए गिरफ्तारी वारंट भी लंबित है। 2023 में ICC ने पुतिन के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 2002 से आईसीसी 56 गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका है, लेकिन 21 पर ही अमल किया जा सका है।

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