दुश्मनी भुला ईरान क्यों पहुंचे सऊदी अरब आर्मी चीफ, शिया और सुन्नी बहुल देशों के बीच नई खिचड़ी क्या
यह मीटिंग डोनाल्ड ट्रम्प के US राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुई है। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियानों के दौरान बार-बार मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने का वादा किया था। हालांकि, मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने की संभावना अभी भी बनी हुई है।
ईरान जहां शिया बहुल देश है। वहीं सऊदी अरब सुन्नी बहुल देश है। दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनातनी और दुश्मनी पुरानी है लेकिन उसे भुलाकर एक अहम और दुर्लभ घटनाक्रम के तहत सऊदी अरब के आर्मी चीफ ने ईरानी समकक्ष से ईरान की राजधानी तेहरान पहुंचकर मुलाकात की है। ईरान की आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना ने बताया कि सऊदी अरब के सशस्त्र बलों के जनरल चीफ ऑफ स्टाफ फय्याद अल-रुवैली ने रविवार को तेहरान में ईरानी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ मुख्यालय में अपने ईरानी समकक्ष जनरल मोहम्मद बाघेरी से मुलाकात की है।
पिछले साल दोनों देशों के बीच संबंधों को बहाल करने के फैसले के बाद दो शीर्ष सैन्य अफसरों की इस मुलाकात को अहम कदम माना जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मुलाकात का अहम उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा कूटनीति का विकास और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करना था। ईरान की फ़ार्स समाचार एजेंसी ने कहा है कि बाघेरी ने इस बैठक में दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है। फ़ार्स ने बाघेरी के हवाले से कहा, "हम चाहते हैं कि सऊदी नौसेना अगले साल ईरानी नौसैनिक अभ्यास में भागीदार या पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हो।"
ईरानी राष्ट्रपति ने सऊदी क्राउन से की बात
ईरानी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों शीर्ष सैन्य अफसरों की मुलाकात के अलावा, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बात की है। मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार पेजेशकियन ने क्राउन प्रिंस को बताया कि वह अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण रियाद में इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं ले पाएंगे और अपने प्रतिनिधि के रूप में प्रथम उपराष्ट्रपति को भेजेंगे।
बता दें कि सऊदी अरब गाजा पट्टी और लेबनान की स्थिति पर चर्चा के लिए आज (सोमवार को) एक संयुक्त अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। अरब लीग, इस्लामिक सहयोग संगठन के देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों और वरिष्ठ अधिकारियों, फिलिस्तीनी नेता महमूद अब्बास, साथ ही लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री, नजीब मिकाती के रियाद में शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। सऊदी राजधानी ने ठीक एक साल पहले एक संयुक्त अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी की थी। नेताओं ने गाजा के खिलाफ इजरायली आक्रामकता की निंदा की, इसके कारण हुई मानवीय तबाही को संबोधित किया और फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए अपना समर्थन दोहराया।
नई खिचड़ी क्या पक रही
दूसरी तरफ दोनों शीर्ष सैन्य अफसरों की मीटिंग की चर्चा तेज है कि आखिर दो धुर विरोधियों के बीच कौन सी नई खिचड़ी पक रही है। ईरानी मामलों के विशेषज्ञ तोहिद असदी ने अल जजीरा को बताया कि दोनों सशस्त्र बलों के प्रमुखों के बीच बैठक को ईरान-सऊदी संबंधों में एक कदम आगे माना जा सकता है। दरअसल, यह मीटिंग अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद हुई है। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियानों के दौरान बार-बार मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने का वादा किया था। हालांकि, मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने की संभावना अभी भी बनी हुई है। इसलिए ईरान और सऊदी अरब वास्तविकता में यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि सब कुछ पटरी पर रहे और क्षेत्रीय शांति में और गिरावट नहीं आए।
2016 में दोनों ने तोड़ लिए थे आपसी संबंध
बता दें कि तेहरान और रियाद ने 2016 में तब आपसी संबंध तोड़ लिए थे, जब ईरान में सऊदी राजनयिक मिशनों पर रियाद द्वारा शिया मुस्लिम नेता निम्र अल-निम्र को फांसी दिए जाने के विरोध में हमला किया गया था। दोनों देशों ने क्षेत्रीय संघर्ष क्षेत्रों, विशेष रूप से सीरिया और यमन में विरोधी पक्षों का लंबे समय से समर्थन किया है। हालांकि, पिछले साल मार्च 2023 में, दोनों मुस्लिम देश चीन की मध्यस्थता करने के बाद अपनी सात साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर संबंधों को फिर से बहाल करने पर सहमत हो गए थे।
इसके बाद नवंबर 2023 में ही ईरानी जनरल मोहम्मद बाघेरी ने क्षेत्रीय विकास पर चर्चा करने और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बेहतर बनाने के लिए सऊदी अरब के रक्षा मंत्री, प्रिंस खालिद बिन सलमान अल सऊद के साथ फोन पर बात की थी। गाजा संकट के दौरान सऊदी अरब और ईरान के बीच बातचीत लगातार जारी है और हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की इजरायल द्वारा हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्ते और अहम हो गए हैं। सऊदी-ईरान संबंधों को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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