ईरान के चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल कर सकता है अफगानिस्तान, भारत ने क्यों दिया ऑफर
- भारतीय अधिकारियों ने अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की और उन्हें अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट को इस्तेमाल करने की पेशकश की।
एक महत्वपूर्ण कदम में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात कर उन्हें अपने देश के कारोबार के लिए ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह के उपयोग की पेशकश की। चाबहार बंदरगाह को भारतीय सहायता से बनाया गया है। भारत और अफगानिस्तान के अधिकारियों के बीच काबुल को मानवीय सहायता प्रदान करने पर भी चर्चा हुई। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान प्रभाग के संयुक्त सचिव जे.पी. सिंह ने किया।
साप्ताहिक मीडिया वार्ता के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने मोहम्मद याकूब के अलावा पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों तथा संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के प्रमुखों से भी मुलाकात की। जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, “उन्होंने भारत की मानवीय सहायता के साथ ही इस बात पर भी चर्चा की कि किस प्रकार चाबहार बंदरगाह का उपयोग अफगानिस्तान में व्यापारिक समुदाय द्वारा लेन-देन, आयात-निर्यात तथा अन्य किसी कार्य के लिए किया जा सकता है...।”
भारत 2021 से अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान शासन को मान्यता नहीं देता है। हालांकि, भारत समय-समय पर अफगान लोगों को गेहूं, दवाइयां और चिकित्सा आपूर्ति सहित मानवीय सहायता प्रदान करता रहा है।
जायसवाल ने कहा, “मैं यहां यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करना हमारे सहायता कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और पिछले कुछ महीनों तथा कुछ वर्षों में हमने मानवीय सहायता की कई खेपें भेजी हैं। अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे दीर्घकालिक संबंध हैं और ये संबंध देश के प्रति हमारे दृष्टिकोण को निर्देशित करते रहेंगे।”
इस वर्ष की शुरुआत में भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 10 साल का अनुबंध किया था। चाबहार बंदरगाह को भारतीय सहायता से बनाया गया है।