Hindi Newsविदेश न्यूज़ex germany chancellor Angela Merkel says war would start in 2008 if she not block ukraine entry with nato

पुतिन चुपचाप क्यों रहते, NATO से दूर रहकर ही यूक्रेन… किसने की रूस की वकालत

  • जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल का कहना है कि यूक्रेन के लिए सबसे अच्छा विकल्प नाटो से दूर रहना ही था। पुतिन सबकुछ देखते हुए चुपचाप क्यों रहते? अगर मैंने 2008 में इसे नहीं रोका होता, युद्ध उसी समय शुरू हो जाता।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानMon, 25 Nov 2024 06:07 PM
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रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध को 1000 दिन से ज्यादा हो गए हैं और इतने लंबे वक्त बाद भी जंग खत्म होने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं। इस बीच यूरोपीय देश जर्मनी की पूर्व चांसलर एंजेला मर्केल ने व्लादिमीर पुतिन का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि अगर वो 2008 में अपने कार्यकाल के दौरान यूक्रेन का नाटो से जुड़ने का विरोध नहीं करती तो यह युद्ध उसी समय शुरू हो गया होता, व्लादिमीर पुतिन सबकुछ होते हुए देखकर चुपचाप क्यों रहते?

एंजेला मर्केल ने 16 साल तक जर्मनी का नेतृत्व किया है। तीन साल पहले उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। वह वित्तीय संकट, 2015 के प्रवासी संकट और खास तौर पर 2014 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के दौरान पद पर रहीं। बर्लिन में बीबीसी से बात करते हुए मर्केल ने अपने कार्यकाल का बचाव किया। पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा कि रूस के साथ किए गए गैस सौदों का उद्देश्य जर्मन कंपनियों की मदद करना तथा मास्को के साथ शांति बनाए रखना था।

पुतिन चुपचाप नहीं रह सकते थे

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि उन्होंने 2008 में कीव के नाटो में प्रवेश को अवरुद्ध नहीं किया होता तो यूक्रेन के साथ युद्ध पहले ही शुरू हो गया होता। उनका मानना ​​है कि यदि कीव ने 2008 में ही नाटो की सदस्यता की राह शुरू कर दी होती तो यूक्रेन में युद्ध पहले ही शुरू हो गया होता और स्थिति और भी बदतर हो जाती। उन्होंने कहा, "हमने सैन्य संघर्ष और भी पहले देख लिया होता। मेरे लिए यह पूरी तरह स्पष्ट था कि राष्ट्रपति पुतिन चुपचाप यूक्रेन को नाटो में शामिल होते नहीं देखते।

बता दें कि उस समय भी मर्केल के फैसले का यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि मर्केल ने स्पष्ट रूप से गलत अनुमान लगाया, जिससे रूस को बढ़ावा मिला। तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने भी इसका समर्थन किया था।

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