यूक्रेन तक नहीं रुकेगा रूस; मैक्रों ने ट्रंप को क्यों चेताया, पुतिन पर कर दी बड़ी भविष्यवाणी
- मैक्रों ने अपने भाषण में भविष्यवाणी की कि रूस सिर्फ यूक्रेन तक नहीं रुकेगा। व्लादिमीर पुतिन की महत्वकांक्षा भविष्य में यूरोप ही नहीं अमेरिका के लिए भी खतरा साबित हो सकती है।

रूस और यूक्रेन के बीच महायुद्ध में अब नाटकीय रूप से फ्रांस की भी एंट्री हो गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऐसा बयान दिया, जिसने रूस को भड़का दिया है। मैक्रों ने अपने भाषण में भविष्यवाणी की कि रूस सिर्फ यूक्रेन तक नहीं रुकेगा। व्लादिमीर पुतिन की महत्वकांक्षा भविष्य में यूरोप ही नहीं अमेरिका के लिए भी खतरा साबित हो सकती है। यूरोप की बेहतरी के लिए हम चाहते हैं कि अमेरिका तुरंत रूस से अलग हो जाए। इस बयान पर रूस की कड़ी प्रतिक्रिया भी सामने आई है।
रूस ने गुरुवार को मैक्रों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके हालिया बयान में 'न्यूक्लियर ब्लैकमेल' की झलक मिलती है। मॉस्को ने मैक्रों की उस घोषणा पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने यूरोप को रूस से खतरा बताते हुए फ्रांस की 'न्यूक्लियर अम्ब्रेला' नीति को विस्तारित करने की बात कही थी।
सबसे पहले मैक्रों का बयान जानते हैं...
मैक्रों ने क्या कहा
बुधवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए मैक्रों ने कहा था कि रूस यूरोप के लिए एक गंभीर खतरा है। उन्होंने संकेत दिया कि फ्रांस अपने सहयोगियों को परमाणु सुरक्षा प्रदान कर सकता है। साथ ही, उन्होंने उन यूरोपीय देशों के सेना प्रमुखों की बैठक बुलाने की भी योजना बनाई, जो यूक्रेन में शांति सेना भेजने को तैयार हैं।
मैक्रों ने आगे कहा, “हमारे सहयोगी अमेरिका ने इस युद्ध पर अपनी स्थिति बदल दी है, यूक्रेन का कम समर्थन कर रहा है और आगे क्या होगा, इस पर संदेह उत्पन्न कर दिया है।” उन्होंने कहा, “मैं यह विश्वास करना चाहता हूं कि अमेरिका हमारे पक्ष में रहेगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।”
रूस का कड़ा विरोध
इसके जवाब में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को कहा कि "मैक्रों की परमाणु नीति और बयानबाजी रूस के लिए एक नया खतरा पेश कर रही है।" रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा, "मैक्रों के भाषण में परमाणु धमकी के स्पष्ट संकेत हैं। फ्रांस अब पूरे यूरोप के लिए परमाणु सुरक्षा का 'संरक्षक' बनने की महत्वाकांक्षा रखता है, जो अमेरिकी परमाणु सुरक्षा व्यवस्था को भी चुनौती दे सकता है। यह न तो फ्रांस की सुरक्षा को मजबूत करेगा और न ही उसके सहयोगियों की।"
क्या बढ़ेगा यूरोप में तनाव?
रूस और फ्रांस के बीच यह तनातनी ऐसे समय पर सामने आई है जब यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में पहले ही सुरक्षा को लेकर अस्थिरता बनी हुई है। फ्रांस के इस कदम से यूरोप में भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि फ्रांस की इस पहल पर यूरोपीय देश और अमेरिका कैसी प्रतिक्रिया देते हैं।
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