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कंगाल पाकिस्तान की हालत खराब, बच्चे भी नहीं जा रहे स्कूल; लगाई इमरजेंसी

  • पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब होने का असर काफी समय पहले से ही दिखाई देने लगा है। स्कूल न जाने वाले 26 मिलियन बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए शहबाज सरकार ने शिक्षा आपातकाल की घोषणा की है।

Upendra Thapak हिन्दुस्तान टाइम्सSun, 8 Sep 2024 02:12 PM
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पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने रविवार को एक बढ़ा कदम उठाया। आर्थिक हालातों के कारण पाकिस्तान में स्कूल ना जाने वाले करीब 26 मिलियन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई करवाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने विश्व साक्षरता दिवस के मौके पर शिक्षा आपातकाल की घोषणा की है।  एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने स्कूल ना जाने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए निजी स्कूलों और एनजीओ से कहा है कि आप सरकार के साथ आइए और हमारे मुल्क के भविष्य को संभालने में हमारी मदद कीजिए। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि हमारी सरकार शिक्षा के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और हम जल्दी ही इसमें एक बेहतर उपलब्धि हासिल कर लेंगे।

पाक पीएम ने इस मौके पर कहा कि हमनें पूरे देश में शैक्षिक आपातकाल घोषित कर दिया है, छात्रों के लिए नामांकन अभियान शुरू किया है और स्कूलों में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन भी शुरू किया गया है। शहबाज ने कहा कि साक्षरता एक मौलिक मानवीय और संवैधानिक अधिकार है, जो हमारे मुल्क के भविष्य की गारंटी देता है। शिक्षा केवल पढ़ने लिखने की क्षमता भर नहीं है, बल्कि सशक्तिकरण, आर्थिक अवसरों और समाज में सक्रिय भागी दारी का शुरुआती दरवाजा है। हमने स्कूल छोड़ने की दर को कम करने के लिए और शिक्षा पूरी करने के लिए बच्चों को छात्रवृत्ति और अन्य प्रोत्साहन शुरू किए हैं।

पाकिस्तान के पीएम ने कहा कि इस उभरती हुई दुनिया में प्रौद्योगिकी के अनुरूप साक्षरता हासिल करना बहुत जरूरी है। हम यह चाहते हैं कि हमारे युवा डिजिटल क्षेत्र में आगे बढें और आवश्यक कौसल से लैस हों। इस मौके पर पीएम ने निजी स्कूलों और एनजीओ से भी भागीदारी लेने का आग्रह किया कि आप भी आइए और इसमें अपनी भागीदारी दीजिए। इससे पहले शहबाज शरीफ ने मई में शिक्षा आपातकाल की घोषणा की थी और लगभग 26 मिलियन बच्चों का नामांकन कराने की कसम खाई थी। उन्होंने कहा था कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का स्कूल ना जाना भविष्य में पाकिस्तान के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आएगा और इससे बेरोजगारी भयंकर रूप से बढ़ेगी।

अधिक शिक्षित, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज बनाने के लिए नीति-निर्माताओं और जनता को साक्षरता के महत्वपूर्ण महत्व की याद दिलाने के लिए 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को ने के अनुसार, शिक्षा तक पहुंच की कमी सामाजिक विकास में एक महत्वपूर्ण बाधा बनी हुई है, क्योंकि विकासशील देशों में चार में से तीन बच्चे 10 साल की उम्र तक बुनियादी चीजों को पढ़ या समझ नहीं सकते हैं। विश्व स्तर पर अभी भी 754 मिलियन निरक्षर वयस्क हैं,जिनमें दो-तिहाई महिलाएं भी शामिल हैं।

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