Hindi Newsविदेश न्यूज़China build world largest dam over Brahmaputra River in Tibet defends plan near India

अक्सर आते हैं भूकंप, फिर भी बना रहा दुनिया का सबसे बड़ा बांध; अब आया चीन का रिएक्शन

  • माओ निंग ने 137 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली योजना का बचाव करते हुए कहा कि चीन ने दशकों तक गहन अध्ययन किया है और सुरक्षा उपाय किए हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, बीजिंगFri, 27 Dec 2024 08:14 PM
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चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना का बचाव किया है। चीन ने चिंताओं को खारिज करते हुए कहा कि यह परियोजना निचले इलाकों को प्रभावित नहीं करेगी और इसके सुरक्षा मुद्दों को दशकों की गहन अध्ययन प्रक्रिया के माध्यम से संबोधित किया गया है। यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से बेहद नाजुक हिमालयी क्षेत्र में बनाई जा रही है, जो टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 137 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली योजना का बचाव करते हुए कहा कि चीन ने दशकों तक गहन अध्ययन किया है और सुरक्षा उपाय किए हैं। माओ ने यहां प्रेस वार्ता में बांध से जुड़ी चिंताओं के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि चीन हमेशा से सीमा पार गुजरने वाली नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में जलविद्युत विकास का दशकों से गहन अध्ययन किया जा रहा है और परियोजना की सुरक्षा तथा पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना निचले इलाकों को प्रभावित नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि चीन मौजूदा चैनल के माध्यम से निचले इलाकों के देशों के साथ संवाद बनाए रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लाभ के लिए आपदा निवारण और राहत पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाएगा। चीन ने बुधवार को भारतीय सीमा के निकट तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दे दी, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी अवसंरचना परियोजना बताया जा रहा है। इससे भारत और बांग्लादेश में चिंता बढ़ गई है जहां से होकर ये नदी गुजरती है।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह जलविद्युत परियोजना ‘यारलुंग जांगबो’ नदी के निचले हिस्से में बनाई जाएगी। ‘यारलुंग जांगबो’ ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम है। बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बड़ा मोड़ लेते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है। माओ ने कहा कि ‘यारलुंग जांगबो’ नदी के निचले इलाकों में चीन के जलविद्युत विकास का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाना तथा जलवायु परिवर्तन और चरम जल विज्ञान संबंधी आपदाओं का सामना करना है। हांगकांग स्थित ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के मुताबिक बांध में कुल निवेश एक ट्रिलियन युआन (137 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक हो सकता है।

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विशेषज्ञों की चिंताएं

ऊर्जा सलाहकार फर्म लंटाऊ ग्रुप के वरिष्ठ प्रबंधक डेविड फिशमैन ने कहा, "यह एक विशाल इंजीनियरिंग परियोजना है। नदी में जलविद्युत संसाधन उत्कृष्ट हैं।" हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तिब्बत में ऊर्जा आपूर्ति की "शून्य आवश्यकता" होने के कारण इसे ग्रिड से जोड़ने की जरूरत होगी। उन्होंने निचले क्षेत्रों के देशों के संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा, “जल प्रवाह में कमी होने की स्थिति में हर कोई चिंतित रहेगा। भारत इस पर विशेष रूप से चिंतित है।” भारत में इस परियोजना को लेकर चिंता बढ़ रही है, क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी पर जल प्रवाह में कमी का सीधा प्रभाव अरुणाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों पर पड़ सकता है।

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