भारत को चीन के मुकाबले आर्थिक महाशक्ति बना दिया, मनमोहन के निधन पर विदेशी मीडिया ने पढ़े कसीदे
- अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने 1991 के आर्थिक सुधारों का जिक्र करते हुए लिखा कि कैसे मनमोहन सिंह के इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से बचाया।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर लाने वाले डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के बाद देश और दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। डॉ. मनमोहन सिंह को अचानक बेहोशी की स्थिति के बाद दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
वैश्विक स्तर पर दी गई श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह को दुनियाभर के प्रमुख मीडिया हाउस और नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। उन्हें "अर्थव्यवस्था के सुधारों का शिल्पकार" और "संकोची राजा" जैसे विशेषणों से नवाजा गया। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन्हें "मृदुभाषी" और "बौद्धिक" व्यक्ति बताते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत को चीन के मुकाबले एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में खड़ा किया।
वहीं अमेरिकी समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने 1991 के आर्थिक सुधारों का जिक्र करते हुए लिखा कि कैसे मनमोहन सिंह के इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से बचाया। द वाशिंगटन पोस्ट ने डॉ. मनमोहन सिंह को "ऑक्सफोर्ड से पढ़ा हुआ एक मृदुभाषी अर्थशास्त्री" कहा, जिनकी नीतियों ने गरीबी में जूझ रहे भारत को उभरती हुई शक्ति में बदल दिया।
अखबार ने उनके सादगीपूर्ण जीवन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने साधारण कपड़े और पुराने जमाने के जूते पहने, जबकि अन्य नेता भव्य जीवनशैली के लिए जाने जाते थे। वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा, "अपने साधारण कपड़ों और स्कूल शिक्षक जैसे मोटे काले जूतों के साथ, उन्होंने एक मितव्ययी जीवन व्यतीत किया, जबकि कई भारतीय नेता फैंसी कपड़ों और पांच सितारा होटलों में अक्सर भोजन करने के लिए बदनाम थे।" बीबीसी ने उन्हें "आर्थिक उदारीकरण के प्रमुख वास्तुकार" की संज्ञा दी।
बीबीसी ने कहा कि उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने करों में कटौती, रुपए का अवमूल्यन, सरकारी कंपनियों के निजीकरण और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने जैसे कदम उठाए। बीबीसी ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. सिंह की नियुक्ति “एक महत्वाकांक्षी और अभूतपूर्व आर्थिक सुधार कार्यक्रम के लिए एक लॉन्चपैड के रूप में काम आई: उन्होंने करों में कटौती की, रुपये का अवमूल्यन किया, सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया।”
द गार्जियन ने मनमोहन सिंह को उनके कार्यकाल के दौरान "पर्दे के पीछे" रहने के कारण "अनिच्छुक प्रधानमंत्री" करार दिया। दोहा स्थित समाचार आउटलेट अल जजीरा ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने "एक महान व्यक्तिगत ईमानदारी वाले व्यक्ति के रूप में ख्याति अर्जित की"। अल जजीरा ने लिखा, "आर्थिक विकास के अभूतपूर्व दौर में, मनमोहन सिंह की सरकार ने देश की नई-नई मिली संपत्ति को साझा किया, ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार कार्यक्रम जैसी कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।"
अमेरिकी सरकार का शोक संदेश
अमेरिकी विदेश विभाग ने डॉ. मनमोहन सिंह को "भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी के महानतम समर्थकों में से एक" बताया। एक बयान में कहा गया, "भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने में उनके नेतृत्व ने दोनों देशों के संबंधों में नई संभावनाओं का द्वार खोला।" डॉ. मनमोहन सिंह को उनके घरेलू आर्थिक सुधारों के लिए भी याद किया जाएगा, जिन्होंने भारत की तेज़ आर्थिक वृद्धि में योगदान दिया।
डॉ. सिंह की विरासत
1991 में वित्त मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से लेकर 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में, डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर देश को एक सशक्त उपस्थिति दिलाई। उनके निधन से भारत ने एक सच्चा नेता, प्रख्यात अर्थशास्त्री और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व खो दिया है।
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