हसीना को भारत से लाना शीर्ष प्राथमिकता, भारतीय भी यही चाहते हैं; यूनुस सरकार ने किया 'सर्वे' का जिक्र
- बता दें कि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत को शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक कूटनीतिक अनुरोध भेजा है। हालांकि, भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने मंगलवार को कहा कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत से प्रत्यर्पण उनके देश की प्राथमिकता है। मुख्य सलाहकार यूनुस के प्रेस सचिव शफीक-उल आलम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।’’ उन्होंने बताया कि ढाका हसीना को प्रत्यर्पित करने के अपने प्रयासों को जारी रखेगा ताकि व्यक्तिगत तौर पर उन पर मुकदमा चलाया जा सके।
आलम ने कहा कि एक भारतीय मीडिया समूह द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि 55 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं कि उन्हें वापस ढाका लाया जाए, जबकि कुछ प्रतिशत उन्हें दूसरे देश भेजना चाहते हैं और केवल 16-17 प्रतिशत चाहते हैं कि वे भारत में ही रहें। ये बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले ही शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर "आतंकियों को बढ़ावा देने" और "अराजकता फैलाने" का आरोप लगाया था।
हसीना की सरकार 5 अगस्त 2024 को छात्र आंदोलन के दौरान सत्ता से बेदखल कर दी गई थी। उन्होंने भारत में रहते हुए कहा कि वह जल्द ही बांग्लादेश लौटेंगी और पिछले साल हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मारे गए पुलिस अधिकारियों की मौत का "बदला" लेंगी। उन्होंने आरोप लगाया, "यह हत्याएं मुझे सत्ता से हटाने की सोची-समझी साजिश का हिस्सा थीं।"
बांग्लादेश सरकार का सख्त रुख
हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दोहराया कि हसीना के प्रत्यर्पण की कोशिशें जारी रहेंगी। अंतरिम सरकार के प्रवक्ता शफीकुल आलम ने मंगलवार को मीडिया से कहा, "यह सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। हम हसीना को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के लिए उनके प्रत्यर्पण का प्रयास जारी रखेंगे।" आलम ने आगे कहा कि हसीना सरकार के कार्यकाल के दौरान मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ रहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, "संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स प्रकाशित होने के बाद भारत पर दबाव बढ़ रहा है कि वह हसीना को बांग्लादेश लौटाए।"
बता दें कि बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत को शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक कूटनीतिक अनुरोध भेजा है। हालांकि, भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। लगभग 16 वर्षों तक बांग्लादेश पर शासन कर चुकीं शेख हसीना पर कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें मानवता के खिलाफ अपराध, सामूहिक हत्याएं और जबरन गुमशुदगी शामिल हैं। उनके कई पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ पार्टी नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि कई फरार हैं।
संयुक्त राष्ट्र की हालिया 100 पन्नों की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि जुलाई और अगस्त 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश में लगभग 1,400 लोग मारे गए। रिपोर्ट के अनुसार, हसीना सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर दमनकारी कार्रवाई की, जिसके चलते सैकड़ों लोगों की कथित रूप से बंदूकधारी बलों द्वारा गैर-न्यायिक हत्या की गई।
बांग्लादेश में हिंसा का दौर
हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने देशभर में पुलिस स्टेशनों पर हमला किया, जिनमें से 639 में से 450 थाने या तो पूरी तरह तबाह हो गए या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। इस हिंसा में कम से कम 44 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थकों और अल्पसंख्यक समुदायों को भी हिंसा का सामना करना पड़ा। 5 फरवरी को प्रदर्शनकारियों ने ढाका स्थित 32 धनमंडी में स्थित हसीना के पैतृक आवास को तोड़ दिया, जो उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की स्मृति में एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित था।
यूनुस ने भारत से की अपील
इस बीच, बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने एक मीडिया साक्षात्कार में भारत से अपील की कि वह हसीना को "चुप कराए," क्योंकि उनके बयान बांग्लादेश में स्थिति को और अधिक अस्थिर बना रहे हैं। अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि भारत इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या शेख हसीना को वाकई बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया जाएगा।
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