कम से कम कुछ प्रतिबंध ही लगा दीजिए, हेकड़ी हुई गुम तो हसीना पर भारत से गिड़ागिड़ाने लगा बांग्लादेश
तौहीद ने कहा कि हसीना के सार्वजनिक बयानों से बांग्लादेश के लोगों में रोष है और वे तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग हसीना के लंबे कार्यकाल के दौरान किए गए कामों से अभी भी नाराज हैं।
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पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस सौंपने के मुद्दे पर पड़ोसी देश बांग्लादेश की सारी हेकड़ी गुम हो गई है। अब हालात ऐसे हैं कि वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भारत से दरख्वास्त की है कि अगर शेख हसीना को ढाका प्रत्यर्पित नहीं कर सकते तो कम से कम उन पर कुछ प्रतिबंध ही लगा दें। द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में हुसैन ने कहा कि ऐसा करने से हसीना को भड़काऊ और झूठे बयान देने से रोका जा सकेगा और इससे बांग्लादेश में स्थिति काबू में हो सकेगी।
तौहीद ने कहा कि हसीना के सार्वजनिक बयानों से बांग्लादेश के लोगों में रोष है और वे तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई लोग हसीना के लंबे कार्यकाल के दौरान किए गए कामों से अभी भी नाराज हैं। तौहीद ने कहा, “15 साल तक, वह सत्ता में रहीं और लोगों में उनके कार्यों को लेकर बहुत, बहुत ज़्यादा गुस्सा है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कम से कम उन पर कुछ प्रतिबंध ही लगा दे ताकि वह भारत में रहते हुए भड़काऊ बयान न दे सकें।”
तौहीद ने भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा, "हम सिर्फ पिछले 15 वर्षों को ही क्यों देखें? यहां तक कि बीएनपी के समय (2001-2006) के दौरान भी दोनों देशों के बीच व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई थी।” उन्होंने आगे बताया कि 1996-1997 का गंगा जल समझौता राष्ट्रों के बीच मजबूत सहयोग का एक और उदाहरण है।
बांग्लादेशी सलाहकार के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के बीच आपसी संबंधों पर किसी भी देश के नेतृत्वकर्ता से प्रभावित नहीं होना चाहिए। अप्रैल में आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस के बीच बैठक की संभावना के बारे में तौहीद ने सकारात्मक उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे।” बता दें कि इससे पहले तौहीद हुसैन ने मस्कट में एक बहुपक्षीय सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक में दक्षेस को पुनर्जीवित करने के लिए भारत से समर्थन मांगा था।
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