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गलवान जैसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए, चीनी रक्षा मंत्री को राजनाथ सिंह की दो टूक

  • भारत और चीन की सेनाओं ने पिछले महीने डेमचोक और डेपसांग में अंतिम दो विवादित क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी की। करीब साढ़े चार साल बाद इन क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने नियमित गश्त फिर से शुरू की है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वियनतियानेWed, 20 Nov 2024 08:06 PM
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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लाओ पीडीआर की राजधानी वियनतियाने में चीनी रक्षा मंत्री डोंग जुन से मुलाकात की। यह बैठक आसियान रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के मौके पर हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति और हाल ही में हुई सैनिकों की वापसी प्रक्रिया की समीक्षा की गई। इस दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी मंत्री से दो टूक कहा कि गलवान जैसी घटना नहीं होनी चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा कि "गलवान जैसी घटनाओं से बचा जाना चाहिए।" यह बयान जून 2020 में गलवान घाटी में हुई सैन्य झड़प की ओर संकेत करता है, जिसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे।

चार साल बाद सैन्य वापसी

भारत और चीन की सेनाओं ने पिछले महीने डेमचोक और डेपसांग में अंतिम दो विवादित क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पूरी की। करीब साढ़े चार साल बाद इन क्षेत्रों में दोनों पक्षों ने नियमित गश्त फिर से शुरू की है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पांच प्रमुख क्षेत्रों - गलवान, पैंगोंग, गोगरा हॉट स्प्रिंग्स, डेपसांग और डेमचोक में सैन्य गतिरोध ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया था। लंबे कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद, 21 अक्टूबर 2024 को दोनों पक्षों के बीच स्थिति को 2020 से पहले के स्तर पर बहाल करने का समझौता हुआ।

31 अक्टूबर तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया। गलवान घाटी की घटना के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि सैनिकों की वापसी प्रक्रिया और राजनाथ सिंह की इस बैठक से दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और विश्वास बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

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बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े देशों भारत और चीन के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कि दोनों देश पड़ोसी हैं और रहेंगे इसलिए "हमें संघर्ष के बजाय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है"। राजनाथ सिंह ने 2020 की दुर्भाग्यपूर्ण सीमा झड़पों से सीखे गए सबक पर विचार करने, ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के उपाय करने और भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने तनाव कम करने के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच अधिक विश्वास बनाने पर जोर दिया। दोनों पक्ष आपसी विश्वास और समझ बनाने के लिए एक रोडमैप की दिशा में मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

आसियान सम्मेलन में भागीदारी

राजनाथ सिंह की विएंतियाने की तीन दिवसीय यात्रा बुधवार से शुरू हुई जिसका मुख्य उद्देश्य आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक-प्लस (एडीएमएम-प्लस) में भाग लेना है। एडीएमएम-प्लस एक मंच है जिसमें 10 देशों का आसियान (दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) और इसके आठ संवाद साझेदार - भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। लाओस एडीएमएम-प्लस के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में इस बैठक की मेजबानी कर रहा है।

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