PM मोदी के यूक्रेन दौरे के बीच US ने भी चला दांव, तीनों देशों के लिए ये टाइमिंग क्यों खास
फिलहाल अमेरिकी सरकार ने यूक्रेन को दी जाने वाली इस आर्थिक मदद का सार्वजनिक तौर पर ऐलान नहीं किया है लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसकी अनुमति दे दी है और माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा समाप्त होने के बाद शुक्रवार की शाम तक इसका ऐलान कर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी युद्धग्रस्त देश यूक्रेन के एक दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को राजधानी कीव पहुंच गए हैं। कीव पहुंचने पर पीएम मोदी का भारतीय समुदाय ने भव्य स्वागत किया है। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यूक्रेन यात्रा है। पीएम मोदी कुल सात घंटे तक कीव में रहेंगे। इस दौरान वह राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ एकांत में रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत भी होगी।
इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने बड़ा दांव चला है। अमेरिकी के जो बाइडेन प्रशासन ने रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन को 125 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। गुरुवार को बाइडेन प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से एसोसिएटेड प्रेस (AP) ने एक रिपोर्ट में बताया है कि 125 मिलियन डॉलर के नए सैन्य सहायता पैकेज में एयक डिफेंस मिसाइल, हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) के लिए गोला-बारूद, एंटी-आर्मर मिसाइल, काउंटर-ड्रोन तकनीक और जैवलिन समेत कई रक्षा उपकरणों की एक श्रृंखला शामिल होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल अमेरिकी सरकार ने इस आर्थिक मदद का सार्वजनिक तौर पर ऐलान नहीं किया है लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसकी अनुमति दे दी है और माना जा रहा है कि पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा समाप्त होने के बाद शुक्रवार की शाम तक इसका ऐलान कर दिया जाएगा। एपी के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन के सैन्य सहायता प्राधिकरण का उपयोग यूक्रेन को सैन्य मदद देने के लिए किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि यह प्राधिकरण अमेरिकी सरकार को पेंटागन से लिए गए हथियारों के भंडार का उपयोग करने की भी अनुमति देता है।
बता दें कि अमेरिका ने ऐसे समय में यह पैकेज देने का फैसला किया है, जब पीएम मोदी यूक्रेनी राष्ट्रपति से रूस संग युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के मुद्दे पर बातचीत करेंगे। दूसरी तरफ दोनों देश रक्षा सौदों पर भी प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत करेंगे। भारत भी हाल के दिनों में रक्षा उत्पादों का बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है और भारतीय मिसाइलों की दुनियाभर के देशों में मांग बढ़ी है। भारत और यूक्रेन के बीच भी रक्षा तकनीक को लेकर सौदे होते रहे हैं लेकिन पिछले करीब ढाई साल से यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से दोनों देशों के बीच रक्षा सौदे बेपटरी हो चुके हैं।
मौजूदा वक्त में यूक्रेन भारत को रक्षा टेक्नोलॉजी देना चाहता है, इसके लिए यूक्रेन ज्वाइंट वेंचर बनाना चाहता है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2022 में जंग छिड़ने के बाद भारत की तीनों सेनाओं को सप्लाई संकट से जूझना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि इस परेशानी को खत्म करने के लिए सेना ने अपने स्तर पर काफी कोशिश की और यूक्रेन के कई पड़ोसी मुल्कों पोलैंड, एस्टोनिया, बुल्गारिया, चेक गणराज्य से संपर्क किया और सप्लाई हासिल करने की कोशिश की लेकिन इसके बावजूद स्थिति पूरी तरह पटरी पर नहीं लौट सकी है।
प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन दौरे से पहले रूस का भी दौरा कर चुके हैं। भारत और रूस के बीच भी प्रगाढ़ रक्षा संबंध रहे हैं। हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थ नहीं बनना चाहता बल्कि इस बात का पक्षधर है कि दोनों देश आपसी बातचीत से युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान निकाले। इस बीच यूक्रेन रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लगातार घुसपैठ करता जा रहा है। इस महीने की शुरुआत में यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क ओब्लास्ट में एक आक्रामक अभियान की शुरुआत की थी, जिसके तहत 1000 किलोमीटर तक यूक्रेनी सेना घुस चुकी है।
कुर्स्क और आस-पास के क्षेत्रों से हजारों रूसियों को निकाला गया है। यूक्रेन की इस रणनीति से दक्षिण-पश्चिमी रूस में सशस्त्र झड़पें तेज़ हो गई हैं। रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने बुधवार को साफ किया है कि यूक्रेन की आक्रमण ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यानी दोनों देशों के बीच युद्ध अभी और लंबा चल सकता है, जिसमें यूक्रेन को भारी मात्रा में रक्षा सामग्री की जरूरत होगी। अमेरिका ने इसी परिस्थिति को देखते हुए यूक्रेन को नई मदद मुहैया कराने का फैसला किया है।
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