ऑनलाइन गिरफ्तारी कर लूटी जा रही है लाखों की रकम, जानें डिजिटल अरेस्ट का पूरा सच
मेसेजिंग ऐप्स के जरिए वीडियो कॉल करके इंटरनेट यूजर्स को डिजिटल अरेस्ट करने के कई मामले सामने आए हैं। यह एक तरह का स्कैम है, जिसके जरिए लोगों को निशाना बनाकर लाखों की लूट की जा रही है।
भारत में करोड़ों इंटरनेट यूजर्स हैं लेकिन साइबर सुरक्षा को लेकर वे ज्यादा जागरूक नहीं हैं, ऐसे में उन्हें आसानी से स्कैम्स और फ्रॉड का शिकार बनाया जा सकता है। इन दिनों डिजिटल अरेस्ट स्कैम तेजी से बढ़े हैं और विक्टिम्स को लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। इन स्कैम्स के बारे में लोगों को लगातार सतर्क किया जा रहा है लेकिन अब भी ऐसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। आइए आपको डिजिटल अरेस्ट स्कैम्स के बारे में बताते हैं।
आखिर क्या है डिजिटल अरेस्ट?
साइबर स्कैम में स्कैमर्स कभी पुलिस तो कभी CBI, नारकोटिक्स या रिजर्व बैंक का अधिकारी बनकर कॉल या वीडियो कॉल करते हैं। इसके बाद फर्जी अधिकारी दावा करते हैं कि उनके किसी परिजन के साथ बुरा हुआ है या होने वाला है और उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस तरह वीडियो कॉल पर किसी अधिकारी के दिखने के चलते लोग घबरा जाते हैं और डरकर उसकी बात मानने लगते हैं। इसके बाद विक्टिम सामने वाले की मांगपर अक्सर पैसे भी ट्रांसफर कर देता है।
ऐसा होता है डिजिटल अरेस्ट स्कैम
सबसे पहले अनजान नंबर से कॉल या वीडियो कॉल आता है और कॉल करने वाला कोई अधिकारी या पुलिस विभाग से होने का दावा करता है। विक्टिम से कहा जाता है कि उनका कोई परिजन या करीबी मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या ऐसे किसी मामले में फंस गया है। विक्टिम से कहा जाता है कि वह किसी से इस बारे में कुछ ना बताए और कॉल पर बना रहे। ऐसे में विक्टिम को लगता है कि पुलिस उससे पूछताछ कर रही है और किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है।
वीडियो कॉल पर बैकग्राउंड भी किसी सरकारी दफ्तर या पुलिस स्टेशन जैसा लगता है और दिख रहा व्यक्ति भी किसी अधिकारी जैसा समझ आता है। विक्टिम से कहा जाता है कि अगर वह बताई गई रकम का भुगतान करे तो केस बंद कर दिया जाएगा और गिरफ्तारी नहीं होगी। अक्सर लोग इन बातों में आ जाते हैं और खुद को या करीबी को बचाने के लिए स्कैमर्स को रकम का भुगतान कर देते हैं।
यह है डिजिटल अरेस्ट से बचने का तरीका
पुलिस अधिकारी कभी भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी की जानकारी नहीं देते और कोई ऐप डाउनलोड करने को नहीं कहते। इसके अलावा कोई ID, अरेस्ट वारंट या फिर FIR की कॉपी ऑनलाइन शेयर नहीं की जाती है। साथ ही कॉल पर कोई बयान दर्ज नहीं किया जाता और किसी भी तरह की रकम ट्रांसफर नहीं की जानी चाहिए। इसके अलावा कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है और आप जब चाहें कोई भी कॉल कट कर सकते हैं।
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