जो रूट ने किसे समर्पित किया अपना रिकॉर्ड 33वां शतक, बोले- उनके बिना मैं यहां नहीं होता
- जो रूट ने अपना रिकॉर्ड 33वां टेस्ट शतक अपने दीर्घकालिक बल्लेबाजी गुरु ग्राहम थोर्प को समर्पित किया, जिनकी इस महीने 55 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। रूट ने शतक पूरा करने के बाद आसमान की ओर इशारा किया और थोर्प को श्रद्धांजलि दी।
इंग्लैंड के स्टार बल्लेबाज जो रूट ने अपना रिकॉर्ड 33वां टेस्ट शतक अपने दीर्घकालिक बल्लेबाजी गुरु ग्राहम थोर्प को समर्पित किया, जिनकी इस महीने 55 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई। रूट ने शतक पूरा करने के बाद आसमान की ओर इशारा किया और थोर्प को श्रद्धांजलि दी। मैच के बाद उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से मैं उनके बिना वहां नहीं होता जहां मैं अभी हूं"।
जो रूट ने लॉर्ड्स के मैदान पर श्रीलंका के खिलाफ जारी दूसरे टेस्ट की पहली पारी में 143 रन बनाए। यह उनके करियर का 33वां शतक था। रूट इंग्लैंड के लिए इस फॉर्मेट में संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा शतक जड़ने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। उन्होंने इस मामले में पूर्व कप्तान एलिस्टर कुक की बराबरी की है।
रूट ने कहा, "मैं कई लोगों के साथ काम करने के लिए बहुत भाग्यशाली रहा हूं, चाहे वह वरिष्ठ खिलाड़ी हों, कोच हों, सलाहकार हों और थॉर्पी उन लोगों में से एक थे जिन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया।"
रूट का यह लॉर्ड्स के एतिहासिक मैदान पर 6ठा शतक है, वह ‘क्रिकेट का मक्का’ कहे जाने वाले इस मैदान पर भी संयुक्त रूप से सबसे ज्यादा सेंचुरी लगाने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। उनके अलावा ग्राहम गूच और माइकल वॉन लॉर्ड्स पर इतने ही शतक लगाए हैं।
जो रूट ने अपने शतक को लेकर कहा, "उस पल उसके बारे में सोचना अच्छा था। वह एक ऐसा व्यक्ति है जिसे मैं बहुत याद करूंगा। उन्होंने मेरे खेल में, मेरे करियर में बहुत कुछ किया और उसकी मदद के बिना मैं निश्चित रूप से वहां नहीं होता जहां मैं अभी हूं।”
इंग्लैंड के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक ग्राहम थोर्पे ने इसी महीने आत्महत्या की थी, उनके परिवार ने इसकी वजह डिप्रेशन को बताया था। उन्होंने अपने खेल के बाद के करियर का अधिकांश हिस्सा इंग्लैंड की टीम में बिताया और वह 21 साल की उम्र में रूट को टेस्ट टीम में जल्दी शामिल करने के प्रमुख समर्थक थे।
रूट ने थोर्पे को याद करते हुए कहा, “पहली बार मैं उनसे तब मिला जब वह यॉर्कशायर के लिए सरे के खिलाफ स्टैमफोर्ड ब्रिज में दूसरी टीम के खेल में थे। अगले साल, मैंने काउंटी चैम्पियनशिप टीम में अपनी जगह बनाई और वह इंग्लैंड लायंस के साथ शामिल हो गए। इससे पहले कि मैं फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शतक भी बना पाता, उन्होंने मुझे स्कारबोरो में श्रीलंका के खिलाफ लायंस गेम के लिए चुन लिया।”
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