आप किस तरह का सिग्नल दे रहे हैं; ED को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई लताड़
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को छत्तीसगढ़ शराब मामले के आरोपी छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को हिरासत में रखने को लेकर फटकार लगाई।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को छत्तीसगढ़ शराब मामले के आरोपी छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को हिरासत में रखने को लेकर फटकार लगाई। ईडी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के 7 फरवरी के आदेश को चुनौती दिए बिना उन्हें हिरासत में रखा है। कोर्ट ने कहा था कि ईडी ने मामले के लिए अपेक्षित मंजूरी नहीं ली थी।
ईडी के अप्रोज पर सवाल उठाते हुए जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'आप (ईडी) किस तरह का सिग्नल (संकेत) दे रहे हैं। एक व्यक्ति 8 अगस्त, 2024 से हिरासत में है? आज तक, उसके खिलाफ शिकायत का संज्ञान लेने वाली अदालत का कोई आदेश नहीं आया है और फिर भी वह हिरासत में है?'
त्रिपाठी को जमानत देते हुए पीठ ने कहा कि 5 अक्टूबर, 2024 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने त्रिपाठी और अन्य आरोपियों के खिलाफ ईडी की शिकायत (या आरोप पत्र) का संज्ञान लिया, जिसमें उन पर राज्य में शराब की बिक्री में अनियमितताओं से उत्पन्न मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं, जिसमें शामिल राशि 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। त्रिपाठी ने इस आदेश को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी और दावा किया कि संज्ञान लेने का आदेश बिना मंजूरी लिए पारित किया गया था।
भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी होने के नाते, त्रिपाठी के खिलाफ कथित कृत्य उस अवधि के थे जब वे छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग में (2019 और 2022 के बीच) प्रतिनियुक्ति पर थे। 7 फरवरी, 2025 के हाईकोर्ट के आदेश ने उनकी आगे की हिरासत को अवैध माना और 5 अक्टूबर के आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया कि त्रिपाठी के खिलाफ दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत अभियोजन की मंजूरी नहीं थी।
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