Notification Icon
Hindi Newsकरियर न्यूज़Teachers Day 2022: Different methods of teaching have made these teachers special learn about these gurus from Anand sir

Teacher's Day 2022: पढ़ाने के अलग तरीकों ने इन शिक्षकों को बना दिया है खास, जानें आनंद सर से लकेर इन गुरुओं के बारे में

आज शिक्षक दिवस है। इस दिन सभी अपने शिक्षक को सम्मान के साथ याद करते हैं। इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने शिष्यों के अलावा आमजन में भी विशेष छवि बना ली है। बच्चों को पढ़ाने की ललक ने इन्हें

Anuradha Pandey वरीय संवाददाता, पटनाMon, 5 Sep 2022 04:05 AM
share Share

आज शिक्षक दिवस है। इस दिन सभी अपने शिक्षक को सम्मान के साथ याद करते हैं। इनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने शिष्यों के अलावा आमजन में भी विशेष छवि बना ली है। बच्चों को पढ़ाने की ललक ने इन्हें दूसरों से अलग कतार में ला खड़ा किया है। पेश हैं ऐसे ही कुछ शिक्षकों पर रिपोर्ट...

पहले मोटिवेशनल कक्षा चलती है गुरु रहमान

कक्षा लेने से पहले मेरी मोटिवेशनल कक्षा चलती है। इससे बच्चों में सकारात्मक विचार आते हैं। उनके अंदर उत्साह बढ़ता है। वो अधिक मेहनत करते हैं। इस दौरान कई बार संघषों की कहानियां भी सुनाते हैं। इसके अलावा सफलता के टिप्स भी छात्रों को देता हूं। मैं कहानियों के माध्यम से इतिहास पढ़ाता हूं। इससे उन्हें हमेशा याद रहती है। मुझे गुरु रहमान नाम डॉ. एपीजे अबुल कलाम ने दिया है।

गणित को रुचिकर बनाया केसी त्यागी

गणित विषय ज्यादातर छात्रों को कठिन लगता है। इस समस्या को दूर करने और गणित को रुचिकर बनाने के लिए मैंने गणित की किताब लिखी। इसमें उन सभी फॉर्मूला को अपनाया जिससे गणित विषय आसान लगे। मैं जब छात्र था और विषयवार जो समस्या आयी, उसे एक शिक्षक के तौर पर दूर करने की कोशिश की। एक शिक्षक के तौर पर मैं हमेशा खुद को अपडेट करता हूं। उसी के अनुसार योजना भी बनाता हूं।

नई चीजों की जानकारी देना प्राथमिकता आनंद

मुझे बचपन से ही पढ़ाने का शौक था। मैं जिस कक्षा में पढ़ता था, उस कक्षा के बच्चों को पढ़ाता था। देश दुनिया की नई चीजों की जानकारी लेना और उसे बच्चों को बताना मेरी पहली प्राथमिकता होती है। मैं चित्र और ग्राफ का खूब इस्तेमाल करता हूं। सुपर-30 में गांव के बच्चे आते हैं। उन्हें समझाने के लिए इसका खूब इस्तेमाल करता हूं। चित्र और ग्राफ से समझना आसान है। इसके अलावा कार्टून के माध्यम से भी समझाता हूं।

कार्टून के माध्यम से गरीब और अमीर बच्चों के बीच के भेदभाव को खत्म कर मेहनत की प्राथमिकता को दिखाया। इसका असर बच्चों पर बहुत ज्यादा हुआ।

बच्चों को सृजन करना सिखाते हैं अभ्यानंद

मैं प्रशासनिक क्षेत्र से जुड़ा रहा लेकिन मेरे अंदर एक शिक्षक है। इसकी जानकारी अपने बच्चों को पढ़ाने में मिली। सुपर-30 की स्थापना 2002 में हुई। इस दौरान ड्यूटी करते हुए भी मैं बच्चों को पढ़ाने आता था। कई बार तो वर्दी में भी क्लास लिया हूं। मैं रटने वाली पढ़ाई पर विश्वास नहीं करता। बच्चे से खुद सवाल बनवाते हैं और उसका उत्तर भी करवाते हैं। इसके लिए अधिक से अधिक टेस्ट लेते हैं।

शिक्षक का काम सृजन करने का होता है। जिससे बच्चे की सोचने की शक्ति बढ़े। जब बच्चे सोचना शुरू करेंगे तो उन्हें खुद ही समाधान निकल जायेगा। मैं आज भी बच्चों के बीच रह कर उनसे सीखता हूं। क्योंकि कई चीजें जब आप देखते हैं तो उसे ग्रहण करते हैं। ग्रहण करने के बाद उस पर सोचेंगे तो कई नई जानकारी मिलेगी जो दूसरों से अलग होगी।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें