अगर प्रधानमंत्री न होता, तो कौन सा मंत्रालय चुनता, पीएम मोदी ने बताई अपनी पसंद
- Pariksha Pe Charcha : परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि अगर वे प्रधानमंत्री नहीं होते, तो वे स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री में काम करना पसंद करते। उन्होंने कहा, 'मैं स्किल डिपार्टमेंट चुनता क्योंकि स्किल बेहद जरूरी है।'
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के सुंदर नर्सरी में परीक्षा पे चर्चा के एक अनोखे और नए फॉर्मेट में छात्रों के साथ बातचीत की। छात्रों को परीक्षा के तनाव से निपटने के मंत्र देते हुए उन्होंने स्किल (कौशल) की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने छात्रों से कहा कि अगर वे प्रधानमंत्री नहीं होते, तो वे स्किल डेवलपमेंट मिनिस्ट्री में काम करना पसंद करते। पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कौशल विकास देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि युवाओं को सही कौशल उपलब्ध कराने से न केवल रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, बल्कि नवाचार और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलता है।
उन्होंने परीक्षा में चर्चा कार्यक्रम में छात्रों से कहा, 'एक बार मुझसे पूछा कि अगर आप पीएम नहीं होते और मंत्री होते तो आप कौनसा डिपार्टमेंट चुनते। इसपर पीएम ने कहा कि मैं स्किल डिपार्टमेंट चुनता क्योंकि स्किल बेहद जरूरी है। माता-पिता को भी बच्चों की स्किल पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों से कहा कि मम्मी पापा को समझाइए कि अगर आप दुखी और थकान महसूस करेंगे तो परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे क्या? हम रोबोट नहीं हैं, इंसान हैं। मैं बच्चों के परिवार, टीचर्स सबसे कहता हूं कि बच्चों को दीवारों में बंद करके किताबों का जेलखाना बना दें तो बच्चे कभी ग्रो नहीं कर पाएंगे। उसे खुला आसमान चाहिए। उसके पसंद की कुछ चीजें चाहिए। अगर वो अपने पसंद की चीजें अच्छे से करता है तो पढ़ाई भी अच्छे से कर लेगा। परीक्षा ही सबकुछ है जिंदगी में, इस प्रकार से नहीं जीना चाहिए।'
उन्होंने कहा, "कौशल का विकास केवल रोजगार तक सीमित नहीं है, यह समाज में सार्थक योगदान देने के लिए व्यक्तियों को सशक्त बनाने के बारे में है। उन्होंने स्किल इंडिया मिशन और आत्मनिर्भर भारत के तहत सरकार की पहलों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पारंपरिक शिक्षा आवश्यक है, लेकिन आज की जॉब मार्केट में प्रैक्टिकल स्किल नॉलेज बहुत महत्व रखते हैं। उन्होंने छात्रों से भविष्य की उद्योगों की मांगों के अनुरूप स्किल हासिल करने पर फोकस करने को कहा। उन्होंने कहा, 'अगर हमारे युवा सही कौशल से लैस हैं, तो वे न केवल बेहतर करियर हासिल करेंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की तरक्की को भी आगे बढ़ाएंगे।'
परीक्षा पे चर्चा के 8वें संस्करण में पीएम मोदी ने माता पिता को सलाह देते हुए कहा कि वे बच्चों की क्षमता और दिलचस्पी को समझें। उनकी इच्छाओं को जानें। शिक्षक भी विद्यार्थी विद्यार्थी के बीच भेद न करें।
फेल होने से जीवन रुकता नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि स्कूल में बहुत से बच्चे फेल होते हैं वो फिर से ट्राइ करते हैं। जिंदगी अटकती नहीं है। आपको तय करना होगा कि आपको जीवन में सफल होना है या किताबों में सफल होना है। आप भी अपनी विफलताओं को अपना शिक्षक बनाइए। जीवन सिर्फ परीक्षा नहीं है। आप किसी दिवयांगजनों के जीवन को बारीकी से कीजिए। परमात्मा ने उनको कुछ ऐसी चीजे दी हैं जो उन्हें सफल बना देती हैं। तो हर किसी के अंदर कमी और कोई ना कोई अच्छाई होती है।
टाइम टेबल की अहमियत
छात्रों से टाइम टेबल की अहमियत पर पीएम ने कहा, 'सभी के पास 24 घंटे होते हैं। कोई इधर उधर की बातों में इसे गंवा देता है, कोई अपने लक्ष्य पर फोकस करके उसके लिए मेहनत करके। इस समय का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करना चाहिए। एक लिस्ट बनाइए कि कल मुझे ये-ये काम करने हैं। फिर अगले दिन उसे चेक करें कि उसमें से क्या किया क्या नहीं। हम अपने प्रिय विषय में सबसे ज्यादा समय लगा देते हैं। बाकी विषयों को भी टाइम दें। उससे डरने की जरूरत नहीं है। अपने 24 घंटे को हम सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव कैसे बना सकते हैं, इसपर ध्यान दें।
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