जंगली सुअरों के आतंक से सिर्फ यह 6 जिले ही बचे, फसल बर्बाद कर किसानों को भी काट रहे
- उस समय इनकी संख्या 75 हजार के आसपास थी, लेकिन, माना जा रहा है कि इस समय सूबे में लगभग 80 हजार जंगली सुअर हैं। ये जंगली सुअर खेतों में आतंक फैला रहे हैं। मक्का, आलू, टमाटर, फूलगोभी समेत अन्य सब्जियों को ये आसानी से चट कर जा रहे हैं।
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जंगली सुअर किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। कभी छिटपुट इलाकों में तबाही मचाने वाले ये जंगली सुअर अब पूरे सूबे में फैल चुके हैं। उनका उपद्रव 30 जिलों में किसानों की तबाही का सबब बने हुए हैं। अब केवल आठ जिले ही जंगली सुअर से बचे रह गए हैं। इन जिलों पर भी इनके प्रवेश का खतरा लगातार मंडरा रहा है। ऐसे में इन जिलों के किसान अभी से सहमे हुए हैं। पिछले दिनों जंगली सुअरों की गणना करवायी गयी।
उस समय इनकी संख्या 75 हजार के आसपास थी, लेकिन, माना जा रहा है कि इस समय सूबे में लगभग 80 हजार जंगली सुअर हैं। ये जंगली सुअर खेतों में आतंक फैला रहे हैं। मक्का, आलू, टमाटर, फूलगोभी समेत अन्य सब्जियों को ये आसानी से चट कर जा रहे हैं। खासकर जमीन के अंदर और थोड़ा ऊपर रहने वाली फसलों पर इनकी नजर रहती है। रातों की कौन कहे, अब तो ये दिन में भी खेतों में घुस जाते हैं और फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी सक्रियता अब 24 घंटे देखने को मिल रही है।
ये खेतों में फसलों के बीच छुप जाते हैं। यही नहीं आस-पास की जमीन को खोदकर भी अपना घर बना लेते हैं। बीते दिनों इनकी हिंसक प्रवृत्ति ने भी किसानों के साथ सरकार को भी चिंतित कर दिया है। ये किसानों पर हमला कर दे रहे हैं। भगाने पर आक्रामक हो जाते हैं। बड़ी संख्या में किसानों को काटा भी है। इनके दांत बेहद नुकीले होते हैं और हथियार की तरह काम करते हैं। इससे किसान परेशान हैं। कई किसानों को अस्पताल में भी भर्ती करवाना पड़ा।
कृषि विभाग के अनुसार इस समय जंगली सुअरों का सर्वाधिक आतंक मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा और लखीसराय जिलों में देखने को मिल रहा है। ये सर्वाधिक जंगली सुअर वाले जिले हैं। हैरत की बात तो यह है कि मधुबनी, लखीसराय और खगड़िया में इनकी संख्या घोड़परास (नीलगाय) से भी अधिक है। यही नहीं बांका में घोड़परास नहीं है, लेकिन जंगली सुअर वहां पहुंच चुके हैं। विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि इनकी वृद्धि की यह क्रम जारी रहा तो शीघ्र ही इनकी पहुंच सभी जिलों तक हो जाएगी।
इन्हें मारने की भी तैयारी
गैर जंगल क्षेत्र में फसल बर्बाद करने और जानमाल की क्षति पहुंचाने वाले जंगली सुअर को मारने का प्रावधान किया गया है। इनको मारने के लिए किसान संबंधित ग्राम पंचायत की वेबसाइट पर आवेदन कर सकते हैं।
यहां नहीं है जंगली सुअर
औरंगाबाद, जमुई, पूर्णिया, मुंगेर, सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज और कटिहार