वक्फ मुसलमानों की दान की गई संपत्ति है, सरकार न दे दखल; किशनगंज में बोले मौलाना असद मदनी
किशनगंज में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद सैयद असद मदनी ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विरोध जताते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान और शरीयत के खिलाफ है। वक्फ मुसलमानों द्वारा दान की गई संपत्ति है, इसलिए हुकूमत इसमें दखल न दे।
जमीयत उलमा किशनगंज की ओर से आयोजित एक दिवसीय इजलास-ए-आम में जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद सैयद असद मदनी ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विरोध जताते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान और शरीयत के खिलाफ है। वक्फ मुसलमानों द्वारा दान की गई संपत्ति है, इसलिए हुकूमत इसमें दखल न दे। किशनगंज शहर से सटे लहरा चौक के निकट आयोजित इजलास में मौलाना मदनी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। आयोजन में जमीयत के स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ ही विभिन्न राज्यों से शिक्षाविद, प्रबुद्ध इस्लामिक विद्वानों भी शामिल हुए।
हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए नेपाल की राष्ट्रीय सभा के सदस्य और जमीयत उलमा नेपाल के अध्यक्ष मुफ्ती खालिद सिद्दीकी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और शरीयत विरोधी है। सरकार को इस पर समय रहते रोक लगानी चाहिए। जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि जमीयत के जिम्मेदारों ने मुल्क को आबाद करने के लिए बड़ी कुर्बानियां दी हैं। हर मोड़ पर देश के लिए बलिदान दिया है। असम के लाखों लोगों को उनका हक दिलाया गया और बुलडोजर मामले में भी आवाज उठाई। वर्तमान सरकार देश के एक बड़े वर्ग को परेशान करने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 में बदलाव की जरूरत नहीं है। इससे वक्फ को नुकसान होगा और वक्फ कमेटी की संपत्ति छीन ली जाएगी। जमीयत उलमा बिहार के मौलाना मोहम्मद नाजिम ने कहा कि वक्फ दान की भावना रखने वाले मुसलमानों द्वारा दी गई संपत्ति है, सरकार द्वारा नहीं। सरकार की भूमिका वक्फ की संपत्ति की रक्षा करना है, उसे जब्त करना नहीं। अगर सरकार को मुसलमानों से हमदर्दी है तो उसे पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को न्याय देना चाहिए। जमीयत उलमा कर्नाटक के अध्यक्ष मुफ्ती इफ्तिखार अहमद कासमी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक केवल असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक ही नहीं, बल्कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन भारत के संविधान से मिली धार्मिक स्वतंत्रता के भी खिलाफ है।