वक्फ बोर्ड को बचाएं, नहीं तो मुसलमान खुद फैसला करेगा... नीतीश कुमार को मौलाना मदनी की दो टूक
जमीयत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ बोर्ड पर सीएम नीतीश कुमार को सियासी चेतावनी दे डाली है। उन्होने कहा कि वक्फ हमारा मजहब है। अगर आप उस पर अपना रुख साफ नहीं करेंगे, तो मुसलमान खुद फैसला करेगा कि आपकी गर्वेंमेंट आपके मजहब को जिंदा रखना चाहती है, या फिर आग लगाना चाहती है।
राजधानी पटना के बापू सभागार में रविवार को वक्फ संरक्षण एवं राष्ट्रीय एकता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमीयत उलमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने वक्फ बोर्ड पर सीएम नीतीश कुमार को दो टूक बात कह दी। मदनी ने कहा कि वो कहते हैं कि हम मुसलमानों को कोई तकलीफ नहीं पहुंचने देंगे। मैंने जो बात कही है, इसीलिए कि उन तक ये बात पहुंचे। वक्फ को जिंदा रखना हमारा मजहबी मामला है, वक्फ हमारा मजहब है। अगर आप उस पर अपना रुख साफ नहीं करेंगे, तो मुसलमान खुद फैसला करेगा कि आपकी गर्वेंमेंट आपके मजहब को जिंदा रखना चाहती है, या फिर आग लगाना चाहती है।
उन्होने कहा कि आंध्र और बिहार के मुख्यमंत्रियों से कहना चाहता हूं, अगर वे सत्ता में बने रहने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हैं तो यह पीठ में छुरा घोंपने जैसा होगा। हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत पर आधारित है, जिसमें कयामत तक संशोधन नहीं किया जा सकता। वक्फ को जिंदा रखना हमारा धार्मिक कर्तव्य है, क्योंकि यह इस्लाम का हिस्सा है।
उन्होंने वक्फ को लेकर प्रधानमंत्री के हालिया बयान पर पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कल वह यह भी कह सकते हैं कि नमाज,रोजा, हज और जकात का उल्लेख संविधान में भी कहीं नहीं है इसलिए इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। जमीयत उलमा हिंद के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जब 1857 में अन्य देश सो रहे थे, तब हमारे बुजुर्गों ने देश को गुलामी के अभिशाप से मुक्त कराने के लिए आंदोलन शुरू किया था। 1857 में 33 हजार से अधिक विद्वानों को फांसी पर लटका दिया गया था। हमारे बुजुर्गों की सोच थी कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों को एक साथ लाए बिना देश की आजादी नहीं मिल सकती। इसलिए उन्होंने आजादी की लड़ाई में सभी को शामिल किया और उसी रास्ते पर चलकर सफल हुए।
उन्होंने देश में फैली नफरत की राजनीति पर गहरी चिंता जताई और कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मुसलमानों के खिलाफ गैरजिम्मेदाराना बयान देते हैं तो दूसरे लोगों को जहरीले बयान देने से कौन रोक सकता है। असम के मुख्यमंत्री की ओर भी इशारा किया। अगर देश में कानून और संविधान का राज नहीं होगा और न्याय नहीं होगा तो देश का शिराज बिखर जाएगा। संचालन महासचिव मुफ्ती सैयद मासूम साकिब ने किया। कार्यक्रम में जमीयत उलेमा हिंद की वर्किंग कमेटी के कई सदस्य और प्रांतीय जमीयत उलेमा के अध्यक्ष बद्र अहमद मुजीबी, डॉ अनवारुल होदा, डॉ फैज अहमद कादरी, सांसद असफाक करीम, मौलाना मशहूद कादरी भी शामिल हुए।