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तिरहुत MLC उपचुनाव: 13 प्रत्याशियों को रद्द मतों से भी कम मिले वोट, चौंकाने वाले रहे नतीजे

तिरहुत स्नातक उपचुनाव के नतीजे हैरान करने वाले रहे। कुल रद्द हुए वोटों से भी 13 प्रत्याशियों को कम वोट आये। वंशीधर ब्रजवासी ने इस जीत में कई समीकरणों को ध्वस्त किया है। न ही राजनीतिक विरासत का फायदा किसी प्रत्याशी को लेने दिया।

sandeep हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरWed, 11 Dec 2024 05:42 AM
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तिरहुत स्नातक उपचुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। वंशीधर ब्रजवासी की जीत ने राजनीतिक पंडितों को तो दंग किया ही, बाकी प्रत्याशियों की हार ने भी सभी को विस्मय में डाल दिया। हैरानी की बात रही कि कुल रद्द हुए वोटों से भी 13 प्रत्याशियों को कम वोट आये। इतना ही नहीं, मजबूत राजनीतिक विरासत वाले डॉ. विनायक गौतम और गोपी किशन ही धराशायी नहीं हुए, बल्कि एनडीए से समर्थन के बावजूद अभिषेक झा को इस उपचुनाव में निराशा हाथ लगी।

विधान परिषद उपचुनाव में इस बार कुल 6843 वोट रद्द हुए। इससे कम वोट लाने वालों में राकेश रौशन (3920), संजय कुमार(4932), अरविंद कुमार विभात (299), अरुण कुमार जैन (81), ऋषि कुमार अग्रवाल (99), एहतेशामुल हसन रहमानी (511), प्रणय कुमार (198),भूषण महतो (42), मनोज कुमार वत्स (422), राजेश कुमार रौशन (174), रिंकू कुमारी (487), संजना भारती (58), संजीव भूषण (321) व संजीव कुमार 113 वोट ला पाये। रद्द हुए वोट से अधिक मत लाने वाले प्रत्याशियों में विजेता वंशीधर ब्रजवाशी को (23003), विनायक गौतम को (12467), गोपी किशन को (11600) व अभिषेक झा को (10316) वोट आये।

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वंशीधर ब्रजवासी ने इस जीत में कई समीकरणों को ध्वस्त किया है। ब्रजवासी ने इस चुनाव में जातीय कार्ड बिल्कुल नहीं चलने दिया और न ही राजनीतिक विरासत का फायदा किसी प्रत्याशी को लेने दिया। प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी जनसुराज के डॉ. विनायक गौतम की पृष्ठभूमि राजनीतिक रही है। उनके पिता रामकुमार सिंह कई बार विधान पार्षद रह चुके हैं। उनके नाना रघुनाथ पांडेय की मुजफ्फरपुर और तिरहुत में राजनीतिक धाक थी।

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वहीं दूसरे प्रतिद्वंद्वी राजद के गोपी किशन भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हैं। उनके पिता केदार प्रसाद लालगंज से विधायक रह चुके हैं। तीसरे प्रत्याशी अभिषेक झा सत्ताधारी दल जदयू की पसंद थे और चार बार तिरहुत से विधान पार्षद रह चुके सांसद देवेश चंद्र ठाकुर का आशीर्वाद उनके साथ था। लेकिन, ये सभी गणित राजनीतिक बिसात पर बिखर गये। अंतत निर्दलीय ब्रजवासी मैदान मार गये और बाकी प्रत्याशी देखते रह गये।

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