Hindi Newsबिहार न्यूज़Terror of jackal in Saran Chapra after Muzaffarpur Bihar

मुजफ्फरपुर के बाद सारण में सियार का आतंक, रतजगा कर परिवार की रक्षा कर रहे छपरावासी

यहां कभी तेंदुए, बन्दर तो कभी नीलगायों के आतंक से लोग आतंकित रहते थे तो अब सियारों ने भी आतंक मचाना शुरू कर दिया है। लोग रतगगा करके अपनी और परिजनों की रक्षा कर रहे हैं। बंदरों, नीलगायों व जंगली सुअरों का भी आतंक कम नहीं है। यहां के किसान व आम लोग तो रोजाना घटनाएं झेलने को मजबूर होते हैं।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तानFri, 13 Sep 2024 02:51 PM
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यूपी के बाद बिहार में जंगली जानवरों का आतंक कायम है। उधर बरहाइच में भेड़िया ने दहशत मचा रखा है तो बिहार के विभिन्न जिलों में सियार के डर से लोग सो नही रहे हैं। मुजफ्फरपुर के बाद सारण में सियारों व जंगली जानवरों से लोग त्रस्त हैं। लोग गर्मी में भी घरों के बाहर रात में सोने में डर रहे हैं। यहां कभी तेंदुए, बन्दर तो कभी नीलगायों के आतंक से लोग आतंकित रहते थे तो अब सियारों ने भी आतंक मचाना शुरू कर दिया है। लोग रतगगा करके अपनी और परिजनों की रक्षा कर रहे हैं।

सारण के मढौरा, तरैया, पानापुर, दरियापुर, इसुआपुर के इलाके में सियारों का झुंड शाम में निकलता है। सुनसान जगहों पर लोगों की यदि आवाजाही हुई तो वे उनपर हमला भी कर देते हैं। महीने भर पहले दरियापुर के इलाके में सियारों ने दो लोगों को काट कर जख्मी कर दिया था। अमूमन खेत-खलिहान या जंगल में रहने वाले सियार, जंगली सूअर, बंदर व नीलगाय शाम होते ही घनी आबादी वाली बस्ती में भी घुस जाते हैं। नीलगाय से फसलों की क्षति होती है तो इन जानवरों के खूंखार व्यवहार देख लोग भयभीत हो जाते हैं।

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खेती करने से कतरा रहे किसान

बंदरों, नीलगायों व जंगली सुअरों का भी आतंक कम नहीं है। यहां के किसान व आम लोग तो रोजाना घटनाएं झेलने को मजबूर होते हैं। किसान खेती करने से अब कतराने लगे हैं। मढ़ौरा व आसपास के लोग केवल नीलगाय से ही नहीं बल्कि बंदरों व जंगली सुअरों के आतंक से भी त्रस्त हैं। यहां जंगली सूअर व बंदरों के कारण एक ओर जहां फसल का नुकसान हो रहा है ।

पूर्व में तेंदुए ने भी किया था हमला

2023 में पानापुर व इसुआपुर के इलाकों में तेंदुए के आने के कारण लोग दहशत में हो गये थे। मढ़ौरा के देव बहुआरा में 2017 में दो लोगों को तेंदुए ने जख्मी कर दिया था। इस तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने कई कई दिनों तक अभियान भी चलाया। इस दौरान जिन इलाकों में तेंदुए के देखे जाने की सूचना मिल रही थी उस इलाके के लोग रात-रात भर जाग कर सवेरा करते थे और दिन रात दहशत में रहते थे।

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