कृष्णैया मर्डर के दो आरोपियों की ताकत का टेस्ट, एक की बीवी को JDU का टिकट तो दूसरा RJD कैंडिडेट
बिहार के शिवहर लोकसभा सीट से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। वहीं आरजेडी के टिकट पर मुन्ना शुक्ला वैशाली लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
बिहार के गोपालगंज जिले के डीएम रहे जी कृष्णैया की 1994 में मुजफ्फरपुर में भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। ये मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में है। करीब तीन दशक के बाद इस मामले में दोषी ठहराए गए बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शिवहर से जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। जबकि एक अन्य आरोपी मुन्ना शुक्ला, जिसे 2014 में पटना उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया था, आरजेडी के टिकट पर वैशाली से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बता दें कि बिहार सरकार द्वारा बिहार जेल मैनुअल में संशोधन के बाद 27 लोगों की रिहाई की अधिसूचना जारी होने के बाद आनंद मोहन जेल से बाहर आये थे। आनंद मोहन की रिहाई के बाद हंगामा मच गया था और इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी। शिवहर से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद का मुकाबला जेडीयू की रितु जायसवाल से होगा। रितु जायसवाल के पति जहां पूर्व आईएएस हैं, वहीं लवली आनंद के पति आईएएस की हत्या में सजा काटकर जेल से बाहर आए हैं।
1994 में जब लालू यादव की लोकप्रियता अपने चरम पर भी तो आनंद मोहन ने वैशाली सीट से आरजेडी उम्मीदवार को मात दी थी। हालांक बाद में सजा होने के बाद आनंद मोहन के राजनीतिक करियर पर पूर्ण विराम लग गया था। वहीं दूसरी ओर मुन्ना शुक्ला वैशाली से आरजेडी के उम्मीदवार हैं। मुन्ना शुक्ला 2004 और 2009 में दो बार हार चुके हैं। तीसरी बार मुन्ना शुक्ला एक बार फिर वैशाली लोकसभा सीट से आरजेडी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। हालांकि, मुन्ना शुक्ला ने लालगंज से विधायक के रूप में तीन बार जीत हासिल की थी। इस बार वैशाली सीट पर मुन्ना शुक्ला का मुकाबला मौजूदा सांसद और एलजेपी-रामविलास उम्मीदवार वीणा देवी के साथ होगा।
बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में भी मुन्ना शुक्ला भी जेल में बंद थे। बाद में अदालत द्वारा उन्हें अन्य लोगों के साथ संदेह का लाभ देने के बाद बरी कर दिया गया था। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा घोटाले के आरोपी बृजबिहारी का न्यायिक हिरासत के तहत पटना एम्स इलाज चल रहा था। 13 जून 1998 को रात करीब 8.30 बजे टहलते समय उन्हें अस्पताल परिसर में गोली मार दी गई थी। विधवा रमा देवी इस मामले में शिकायतकर्ता थीं। वह शिवहर से मौजूदा भाजपा सांसद हैं। यह सीट इस बार जेडीयू के खाते में चली गई है।
सामाजिक विश्लेषक एनके चौधरी ने कहा है कि राजनीति में बाहुबलियों का आना कोई नई बात नहीं है। सभी पार्टियां इसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अधिक या कम हद तक प्रोत्साहित करती हैं, क्योंकि उनके लिए सीटें जीतना महत्वपूर्ण हो जाता है और प्रभावशाली उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिलती है। मतदाता इसे कैसे देखते हैं यह महत्वपूर्ण है। वहीं एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में लोकसभा और राज्यसभा में अपने उम्मीदवारों के नामांकन के समय जन प्रतिनिधियों द्वारा दायर हलफनामे का विश्लेषण करने के बाद कहा गया था कि बिहार के 73% सांसदों पर आपराधिक आरोप लगे थे। बिहार में लोकसभा की 40 और राज्यसभा की 16 सीटें हैं। एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2019 में जीतने वाले 40 में से 31 सांसदों पर आपराधिक आरोप लगे थे।