नए चेहरों पर भरोसा, नीतीश कैबिनेट में इन पुराने मंत्रियों को नहीं मिला मौका, बीजेपी का क्या संकेत?
बिहार में हुए नीतीश कैबिनेट के विस्तार में बीजेपी से कई पुराने चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। इससे सियासी गलियारे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का विस्तार हो गया है। बीजेपी ने इस बार नए चेहरों को कैबिनेट में जगह दी है। पिछली एनडीए सरकार में मंत्री रहे कई नेताओं को इस बार मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया है। इसमें पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, जीवेश मिश्रा, आलोक रंजन झा, अमरेंद्र प्रताप सिंह, प्रमोद कुमार, नारायण प्रसाद, रामप्रीत पासवान और रामसूरत कुमार शामिल हैं। इनमें से कुछ नेताओं को लोकसभा चुनाव का टिकट दिए जाने की भी चर्चा है।
नीतीश कैबिनेट में शुक्रवार को बीजेपी से 12 विधायक एवं एमएलसी ने मंत्री पद की शपथ ली। इनमें आधे नए चेहरे हैं। बीजेपी ने इसके संकेत पहले ही दे दिए थे। दिलीप जायसवाल, केदार गुप्ता, सुरेंद्र मेहता, कृष्णनंदन पासवान, संतोष सिंह और हरि सहनी को पहली बार मंत्री बनाया गया है। माना जा रहा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया गया है।
बीजेपी के अल्पसंख्यक चेहरे शाहनवाज हुसैन को इस बार नीतीश कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। उनका विधान परिषद का कार्यकाल भी खत्म हो चुका है। हाल ही में हुए एमएलसी चुनाव में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया। चर्चा है कि शाहनवाज हुसैन को लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। बीजेपी उन्हें मुस्लिम बाहुल्य सीट किशनगंज या भागलपुर से प्रत्याशी बना सकती है।
शाहनवाज के अलावा पूर्व की नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके कुछ नेताओं को भी लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है। हालांकि, पार्टी की ओर से इस बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। बीजेपी की लोकसभा चुनाव की कैंडिडेट लिस्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
दूसरी ओर, नीतीश कैबिनेट का विस्तार होने के बाद मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या 30 हो गई है। इसकी अधिकतम सीमा 36 है। यानी कि अभी 6 और मंत्री बनाए जाने की संभावना बनी हुई है। भविष्य में होने वाले कैबिनेट विस्तार में बीजेपी के कुछ पुराने नेताओं को जगह मिल सकती है।