दामाद जी गलती करें, ससुर जी भरें, वाहन जांच में मजेदार खुलासा; मोबाइल से फंस रहा पेंच
गाड़ियों में लगातार बढ़ रही फाइन की संख्या और अन्य मामलों को लेकर जब जांच की जा रही है तो गाड़ी गिफ्ट में दी हुई निकल जा रही है। ऐसे में गाड़ी कोई और चला रहा है और फाइन किसी और के मोबाइल नंबर पर जा रहा है।
बिहार के कई जिलों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) नंबर, इंश्योरेंस, डीएल, ऑनर बुक, प्रदूषण समेत अन्य कागजात को लेकर सघन जांच पड़ताल चल रही है। जांच के दौरान कई मजेदार वाकया भी सामने आ रहा है। लगातार जुर्माना के बाद अधिकारियों के सवाल-जवाब के बाद गाड़ी के मालिक या चलाने वाले लोगों के द्वारा भी चौंकाने वाले जवाब दिए रहे हैं। गाड़ियों में लगातार बढ़ रही फाइन की संख्या और अन्य मामलों को लेकर जब जांच की जा रही है तो गाड़ी गिफ्ट में दी हुई निकल जा रही है। गाड़ी समेत सभी कागजात उपलब्ध तो हैं, लेकिन ऑनर बुक में दिए गए मोबाइल नंबर गिफ्ट देने वाले के पास है। इस वजह से फाइन की सूचना गाड़ी का उपयोग करने वाले को नहीं मिल रही है। एक माह के दौरान 33 लोगों ने बताया कि ससुर के द्वारा उन्हें गाड़ी गिफ्ट में दी गई है। गाड़ी ससुर के द्वारा फाइनेंस करवा कर दिया गया है। इस वजह से भी कई तरह के कागजात उनके पास नहीं है।
फेल प्रदूषण और इंश्योरेंस करवाने की जिम्मेदारी रिश्तेदार की यातायात पुलिस के द्वारा जब 22 से अधिक बाइक चालक से प्रदूषण और इंश्योरेंस फेल रहने का कारण पूछा तो बताया गया कि सभी कागजात को दुरुस्त करवाने की जिम्मेदारी उनके रिश्तेदार मसलन ससुर का है। गिफ्ट में गाड़ी दी है, इस वजह से भी इस तरह के कागजात को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी भी उनके द्वारा ही ली जा रही है। लापरवाही का आलम यह है कि गिफ्ट वाली गाड़ी का उपयोग करने वाले लोग हेलमेट का भी उपयोग नहीं कर रहे हैं। चूंकि जिम्मेदारी नहीं रहने के कारण इस तरह की लापरवाही लगातार सामने आ रही है।
गाड़ियों पर लगातार फाइन किया जा रहा है। जांच के दौरान लोग गिफ्ट की गाड़ी कहकर फाइन जमा करने से पल्ला झाड़ रहे हैं। सीजर की व्यवस्था नहीं होने से भी दिक्कतें आ रही हैं। -जनार्दन कुमार, डीटीओ, भागलपुर
गाड़ियों पर फाइन तो हो रहा पर नियमित रूप से राशि जमा नहीं हो रही
जिले में लगातार चेकिंग अभियान के दौरान गाड़ियों पर फाइन तो किए जा रहे हैं। लेकिन राशि नियमित रूप से जमा नहीं हो पा रही है। एक -एक गाड़ी चालकों पर दर्जनों बार फाइन हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। गाड़ी के कागजात को यदि किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर किया जाता है तो सबसे पहले नो ड्यूज लिया जाता है। नो ड्यूज मिलने के बाद ही गाड़ी किसी दूसरे के नाम पर ट्रांसफर होता है। फाइन होने के बाद भी लोग विभाग में राशि जमा नहीं करा रहे हैं।