आपके बच्चों को मरीज बना रहा स्मार्ट फोन, किन बीमारियों के शिकार हो रहे मासूम; जानें डॉक्टर की राय
डॉक्टर की माने तो वर्ष 2045 तक हर दूसरा बच्चा इसका शिकार हो सकता है अगर समय पर इसकी जांच कर इलाज नहीं किया गया। यह बातें मिलट्रिी मिलट्रिी हॉस्पिटल के रिटायर्ड नेत्र रोग विशेषज्ञ कर्नल अशोक झा ने अपने शोध के आधार पर कहा।
आंख लोगों के लिए अनमोल है। इसके बिना व्यक्ति का जीवन ही अंधकारमय है। वहीं आजतक कम उम्र के बच्चों को ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से आंख की रोशनी कम होने लगी है। ये बच्चे मायोपिया बीमारी के शिकार हो रहे है। इस बीमारी में दूर की वस्तु कम दिखने लगती है। डॉक्टर की माने तो वर्ष 2045 तक हर दूसरा बच्चा इसका शिकार हो सकता है अगर समय पर इसकी जांच कर इलाज नहीं किया गया। यह बातें मिलट्रिी मिलट्रिी हॉस्पिटल के रिटायर्ड नेत्र रोग विशेषज्ञ कर्नल अशोक झा ने अपने शोध के आधार पर कहा।
पांच साल से 14 साल तक के बच्चे अधिक प्रभावित
कर्नल झा मायोपिया बीमारी पर वह शोध कर रहे है। इस बीमारी के कारण ज्यादातर चार साल से 15 साल तक के बच्चे अधिक प्रभावित है। अगर शुरुआत में जांच के दौरान इसके बारे में पता चल जाये तो इसका इलाज कर रोका जा सकता है। ज्यादा देर होने पर अधिक परेशानी होती है। इस बीमारी में बच्चें के चश्में का पावन माइनस में चला जाता है। ज्यादातर इस तरह के मामले शक्षिकों के द्वारा भेजा जाता है। जब बच्चे क्लास में पीछे बैठते है तो उन्हे बोर्ड पर लिखे गये शब्द स्पष्ट नहीं दिखते जिसके कारण वह ज्यादातर गलती लिखने लगते है। जिसके अभिभावकों से इन बच्चों की आंख जांच करने की बात कही जाती है।
डॉ. झा ने बताया कि प्रत्येक माह ऐसे मरीजों की संख्या 50 से 60 या उससे अधिक भी रहती है। ऐसे बच्चे कुंठित भी रहते हैं। क्योंकि जब यह अपने माता पिता से यह कहते है कि उन्हें दूर की वस्तु दिखायी नहीं पड़ रही तो ज्यादातर अभिभावक इसे गंभीरता से नहीं लेते और बच्चे को ही डांट देते हैं। अभिभावक ऐसा ना करें और पांच वर्ष का अगर बच्चा है तो उसकी आंखों की जांच जरूर करायें।
विटामिन डी की भी कमी है इसका कारण
जो भी बच्चे मायोपिया बीमारी के मिले है। उनमें एक बात और कॉमन दिखी। इन बच्चों की जब विटामिन डी की जांच करायी गयी तो सभी में सामान्य से काफी कम पाया गया। यह भी एक कारण है इसलिए लोग अपने बच्चे के विटामिन डी की भी जांच जरूर कराये।
आउटडोर एक्टिविटी जरूरी
बच्चें को मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए आउटडोर एक्टिविटी जरूरी है। प्रतिदिन कम से कम दो घंटे अपने बच्चों को घर से बाहर खुले मैदान में खेलने के लिए ले जाये। जिससे कि वह दूर की वस्तु को देखे और उनके आंखों का भी व्ययाम हो सके। उन्होंने कहा कि जो बच्चे लैपटॉप चलाते है वैसे बच्चे बीच-बीच में 30 सेकेंड के लिए आंख की पलकों को झपकायें और दूर की वस्तु को देखे।