महिला संवाद में स्ट्रीट लाइट, रोजगार, पुस्तकालय की उठी आवाज
सीवान में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए चलाया जा रहा महिला संवाद कार्यक्रम अब ग्रामीण विकास का महत्वपूर्ण साधन बन गया है। हाल ही में आयोजित संवाद में महिलाओं ने अपने मुद्दे उठाए, जैसे स्ट्रीट लाइट, नल...

सीवान, हिन्दुस्तान संवाददाता। महिलाओं को सशक्त व जागरूक करने की दिशा में चलाया जा रहा महिला संवाद कार्यक्रम अब ग्रामीण विकास का मजबूत माध्यम बनता जा रहा है। इस क्रम में सदर प्रखंड के ओरमा मुकुंद पंचायत में संवाद कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार को किया गया। कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के क्षेत्रीय समन्वयक अभिजीत शंकर ने विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सरकार से उनकी आकांक्षाएं को जाना। बीपीएम रजनीश कुमार के साथ महिलाओं ने खुलकर संवाद किया और महिलाओं के सवालों का जवाब भी दिया। ग्रामीण महिलाओं ने गांव की बुनियादी समस्याओं जैसे स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था, नल जल योजना, रोजगार,पुस्तकालय आदि जैसे मुद्दे को रखा।
संसार ग्राम संगठन की दीदियों ने ग्राम संगठन की बैठक के लिए जीविका भवन की भी मांग की। संवाद में जीविका के डीपीएम कृष्ण कुमार गुप्ता ने भाग लिया। उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी मांगों को संबंधित विभागों तक पहुंचाया जाएगा, साथ ही जिला स्तर पर उनकी समीक्षा की जाएगी। संवाद में जितेंद्र कुमार, आशिता गुप्ता आदि मौजूद थे। सीवान जिले में अब तक 656 महिला संवाद राज्य सरकार व जीविका के संयुक्त प्रयास से संचालित महिला संवाद कार्यक्रम ने सीवान जिले में ग्रामीण सशक्तीकरण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। 18 अप्रैल 2025 से शुरू हुए अभियान के तहत अब तक कुल 656 महिला संवाद का आयोजन हो चुका है। 16 संवाद रथों के माध्यम से एलईडी स्क्रीन व प्रचार-प्रसार के आधुनिक माध्यमों का उपयोग करते हुए गांव-गांव में इस कार्यक्रम को पहुंचाया गया है, ताकि ग्रामीण महिलाएं योजनाओं के बारे में जान सकें और अपनी समस्याएं व मांगें सरकार तक सीधे पहुंचा सकें। इस अभियान में अब तक 1,34,000 से अधिक महिलाओं की सक्रिय भागीदारी दर्ज की गई है। इनमें जीविका व गैर-जीविका दोनों तरह की सदस्याएं शामिल हैं। इस दिशा में जीविका के माध्यम से अब तक 14,668 सामुदायिक मांगों व सुझावों का संग्रह किया गया है, जिन्हें एक सुनियोजित एमआईएस प्रणाली के माध्यम से जिला प्रशासन तक पहुंचाया जा रहा है। इधर, महिला संवाद ने साबित कर दिया कि जब ग्रामीण महिलाओं को सही मंच व अवसर दिया जाता है, तो वह न केवल अपनी समस्याएं उठाती हैं, बल्कि सामूहिक विकास की दिशा में ठोस सुझाव भी देती हैं। जिला प्रशासन इस अभियान को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा रहा है, ताकि महिलाओं की आकांक्षाओं को वास्तविक योजनाओं में रूपांतरित किया जा सके।
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