Hindi Newsबिहार न्यूज़Seven thousand crore road project in Bihar in trouble due land acquisition issue no work in 2 years

बिहार की 7 हजार करोड़ की सड़क परियोजनाएं खटाई में क्यों? 2 साल में 1 इंच भी काम नहीं हुआ

अमदाबाद-मनिहारी का जीर्णोद्धार और चौड़ीकरण होना है। जमीन नहीं मिलने के कारण एक बार इस एजेंसी को हटाया जा चुका है। दरभंगा-बनवारी पट्टी चार लेन का निर्माण होना है। काम अवार्ड हो चुका है लेकिन एजेंसी से करार जमीन के अभाव में नहीं हो पा रहा है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाSun, 20 Oct 2024 05:52 AM
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बिहार में जमीन के अभाव में राज्य की सात हजार करोड़ की परियोजनाएं अटकी हुई हैं। लगभग डेढ़ दर्जन ऐसी परियोजनाएं हैं, जिसकी मंजूरी दो साल पहले मिली है। इसमें से कई की निविदाएं होने के साथ ही एजेंसी का भी चयन हो चुका है लेकिन जमीन के अभाव में इसका काम शुरू नहीं हो पा रहा है। इन परियोजनाओं की लंबाई लगभग 300 किलोमीटर है।

पथ निर्माण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अमदाबाद-मनिहारी का जीर्णोद्धार और चौड़ीकरण होना है। जमीन नहीं मिलने के कारण एक बार इस एजेंसी को हटाया जा चुका है। दरभंगा-बनवारी पट्टी चार लेन का निर्माण होना है। काम अवार्ड हो चुका है लेकिन एजेंसी से करार जमीन के अभाव में नहीं हो पा रहा है।

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बताया गया है कि रामनगर-रोसड़ा की भी निविदा हो चुकी है। लेकिन, जमीन मालिकों को धीमी गति से पैसा दिए जाने के कारण एजेंसी काम शुरू नहीं कर पा रही है। एकंगरसराय में आरओबी का निर्माण के लिए एजेंसी का चयन हो चुका है लेकिन यहां भी काम शुरू नहीं हो पा रहा है। गया बाइपास के लिए चयनित एजेंसी से विभाग करार नहीं कर पा रहा है। दाउदनगर, नासरीगंज और दावथ बाईपास का काम भी अवार्ड हो चुका है। लेकिन एजेंसी से करार नहीं हो सका है। चौसा-बक्सर बाईपास, कटोरिया, लखपुरा, बांका और पंजवारा बाइपास, सरवन-चकाई, भागलपुर-खरहरा-ढाका मोड़, शेखपुरा, जमुई और खैरा बाईपास, केन्दुआ, झाझा, नरगंजो, मानगोबंदर बाईपास, मुक्तापुर-किशनपुर के बीच आरओबी, जंदाहा बाजार बाईपास, लालगंज-गणपतंज और मेहरौनाघाट-सीवान सड़क का काम भी जमीन के अभाव में अटका हुआ है।

करार नहीं हुआ तो पथ निर्माण विभाग पर लगेगा जुर्माना

एजेंसी चयन होने के बाद भी करार नहीं होने से अब पथ निर्माण विभाग पर जुर्माने का संकट हो गया है। नियमानुसार काम अवार्ड होने के तीन महीने के भीतर विभाग को चयनित एजेंसियों से करार करना होता है। करार के पहले एजेंसी को पूरी जमीन हस्तांतरण करनी पड़ती है। करार नहीं हो सका तो सरकार को सात हजार करोड़ की परियोजनाओं में सरकार को 70 करोड़ जुर्माना एजेंसियों को देना पड़ेगा।

दो साल पहले मंजूरी मिलने के बाद भी काम शुरू नहीं होने के बाद अब मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मुख्य सचिव के स्तर पर अब महीने में दो बार बैठक होगी। एक दिन उत्तर बिहार तो दूसरे दिन दक्षिण बिहार की सड़क परियोजनाओं की समीक्षा होगी। इसमें डीएम को भी शामिल किया जाएगा ताकि उनसे यह पूछा जा सके कि संबंधित जिला प्रशासन सड़क परियोजनाओं के लिए कब तक जमीन उपलब्ध कराएगा।

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