संजीव हंस और गुलाब यादव पर कसा शिकंजा, SVU दर्ज कर सकती है एफआईआर, करोड़ों की संपत्ति हुई जब्त
आय से अधिक संपत्ति के मामले में आईएएस अधिकारी संजीव हंस, पूर्व विधायक गुलाब यादव समेत अन्य पर शिकंजा कस दिया है। विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर सकती है। जिसके लिए राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है
राज्य सरकार ने आय से अधिक संपत्ति (डीए) और पद का दुरुपयोग कर अवैध कमाई करने के मामले में आईएएस अधिकारी संजीव हंस, पूर्व विधायक गुलाब यादव समेत अन्य पर शिकंजा कस दिया है। इनके खिलाफ विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) मंगलवार को एफआईआर दर्ज कर सकती है। इसके लिए राज्य सरकार ने हरी झंडी दे दी है।
जांच एजेंसी सूत्रों के अनुसार एफआईआर में संजीव हंस एवं उनकी पत्नी, संजीव हंस के पिता, पूर्व विधायक गुलाब यादव, उनकी पत्नी विधान पार्षद अंबिका गुलाब यादव, बेटी बिन्दु गुलाब यादव तथा सुनील सिन्हा समेत 14 से अधिक लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया जा रहा है। इन सभी पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट), भारत न्याय संहिता समेत अन्य सुसंगत धाराओं के तहत आरोप गठित किया गया है। बताया जा रहा है कि एफआईआर में उस वकील महिला का भी नाम है, जिनके बयान पर संजीव हंस और गुलाब यादव के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज हुआ था। इस महिला के खाते से भी आईएएस अधिकारी समेत अन्य के साथ लेनदेन की बात सामने आई है।
महाधिवक्ता से मांगा गया था मंतव्य
1997 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव हंस समेत एक दर्जन से अधिक नामजद अभियुक्तों पर मामला दर्ज करने से पहले गृह विभाग ने राज्य के महाधिवक्ता से मंतव्य मांगा था। महाधिवक्ता और विधि विभाग से अनुमोदन प्राप्त होने पर एफआईआर की प्रक्रिया शुरू की गई है। गौरतलब है कि एसवीयू के एडीजी नैयर हसनैन खान केंद्र प्रतिनियुक्ति पर चले गए और उन्हें शनिवार को विरमित कर दिया गया। उनके स्थान पर नए एडीजी पंकज कुमार दाराद ने पदभार संभाल लिया है। पदभार संभालते ही यह पहला बड़ा केस उनके महकमा में दर्ज होने जा रहा है।
ईडी ने की थी अनुशंसा
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा- 66(2) का प्रयोग करते हुए आईएएस अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव समेत अन्य के खिलाफ डीए समेत अन्य सुसंगत मामलों में मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश राज्य सरकार से की थी। इसे लेकर ईडी मुख्यालय ने बिहार के डीजीपी और एसवीयू के एडीजी को 28 अगस्त को पत्र लिखा था। करीब 13 पेज के इस पत्र में आईएएस अधिकारी और जन प्रतिनिधि समेत इनसे जुड़े अन्य सभी लोगों के खिलाफ अवैध संपत्ति से संबंधित पूरा ब्योरा प्रस्तुत किया है। इस पत्र के साथ इनकी काली कमाई और अवैध संपत्ति से जुड़े साक्ष्य दिए गए हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने एफआईआर की कवायद शुरू की है।
यह है धारा-66 (2)
पीएमएलए की धारा 66(2) के अंतर्गत भेजे गए सभी साक्ष्य ईडी ने अपनी सघन जांच के बाद पाया है। इसके आधार पर राज्य की एजेंसी को इन दोनों के साथ ही इनसे जुड़े अन्य लोगों के बारे में डीए की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करना अनिवार्य हो जाता है। क्योंकि धारा-66(2) को लेकर कुछ वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदन लाल चौधरी के एक मामले की सुनवाई में पारित आदेश में कहा था कि ईडी के स्तर से ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करने पर जांच एजेंसी को मुकदमा कर कार्रवाई करनी अनिवार्य होगी।
बेनामी लेनदेन से लेकर हवाला से पैसे भेजने तक के साक्ष्य
ईडी की जांच में आईएएस संजीव हंस के पास 20 करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति का मामला सामने आया है। ये संपत्तियां नोएडा, गुड़गांव, पंजाब समेत अन्य स्थानों पर हैं। इनके कई निजी ठेकेदारों से नजदीकी साठगांठ से जुड़े पुख्ता प्रमाण भी मिले हैं। संजीव हंस और गुलाब यादव के साथ उनकी पत्नी एमएलसी के साथ साझा कारोबार के प्रमाण और काली कमाई से जुड़ी कई महत्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं।
गुलाब यादव की पत्नी के स्तर से संजीव हंस और उनकी पत्नी के बैंक खातों में 90 लाख रुपये कैश जमा करने तथा 2 करोड़ 44 लाख रुपये हवाला के जरिए भेजने के पुख्ता प्रमाण सामने आए हैं। लेनदेन से जुड़े वीडियो फुटेज और कई फोटो भी ईडी ने राज्य सरकार को समर्पित किए हैं। ईडी की पूछताछ में गुलाब यादव अपने खाते में जमा 5 से 6 करोड़ रुपये के वैध स्रोत की जानकारी देने में विफल रहे हैं। संजीव हंस के लिए गुलाब यादव मुख्य रूप से बिचौलिया का काम करते थे। अनेक योजनाओं में अवैध तरीके से ठेका लेने और दिलाने के नाम पर मोटी कमीशनखोरी की गई है।
ईडी ने 16 जुलाई को 20 से अधिक स्थानों पर की थी छापेमारी
ईडी ने इसी वर्ष 16 जुलाई को संजीव हंस और गुलाब यादव के बिहार, दिल्ली, यूपी, पंजाब, पुणे के करीब दो दर्जन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। छापेमारी तीन-चार दिनों तक चली थी। इसमें संजीव हंस के दिल्ली में रहने वाले साले और अन्य रिश्तेदारों के अलावा एक जमीन ब्रोकर समेत अन्य के ठिकाने भी शामिल थे। इलाहाबाद की एक महिला वकील ने इन दोनों के खिलाफ रेप समेत अन्य मामलों को लेकर नवंबर 2021 में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें महिला को फ्लैट और गाड़ी भी देने की बात कही गई थी।
इसी एफआईआर को आधार बनाकर ईडी ने मामला दर्ज कार्रवाई शुरू की थी। जांच में अवैध संपत्ति का बड़ा रैकेट सामने आया। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने महिला के स्तर से दर्ज कराई गई इस एफआईआर को निरस्त कर दिया था। इस मामले में ईडी ने संजीव हंस और उनसे जुड़े कई दोस्त, करीबी और रिश्तेदारों के ठिकानों पर कोलकाता, मुंबई, दिल्ली समेत अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान बड़े पैमाने पर अवैध लेनदेन के कागजात, नकदी और सोने चांदी के बुलियन व गहने जब्त किए गए थे।
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