हर दिन जान जोखिम में डाल गंगा पार करते हैं शिक्षकों
मोहनपुर में लगभग तीन दर्जन शिक्षक हर दिन गंगा नदी पार कर स्कूल आते हैं। सुरक्षा की कमी और नावों की ऊँची कीमत के कारण उन्हें खतरे का सामना करना पड़ता है। शिक्षकों ने सरकार से उचित नाव और सुरक्षा उपायों...
मोहनपुर, निज संवाददाता। प्रखंड के करीब तीन दर्जन शिक्षकों हर दिन जान जोखिम में डाल गंगा नदी पार स्कूल आते जाते हैं। शाम में सुरक्षित घर लौटने के बाद ही राहत की सांस लेते हैं। उनके गंगा नदी पार कर स्कूल आने जाने से परिजन भी चिंतित रहते हैं। सभी शिक्षक पर नदी के दक्षिणवर्ती भूभाग में विद्यालयों के संचालन का भार दिया गया है, किंतु सरकार ने विद्यालयों तक सुरक्षित पहुंचने और वहां से वापस आने की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी। उल्लेखनीय है कि प्रखंड की धरनीपट्टी पश्चिमी पंचायत की करीब बीस हजार आबादी गंगा नदी के पार दक्षिणी भूभाग में निवास करती है। धरनी पट्टी पूर्वी पंचायत की सौ प्रतिशत आबादी भी नदी के दक्षिणी हिस्से में अवस्थित कृ़षि भूमि पर खेती कर अपनी जीविका जुटाती है। नदी के पार निवास करने वाले लोगों के लिए रोजमर्रे की जरूरतों से लेकर स्वास्थ्य और प्रशासनिक सुविधाएं लेने के लिए उत्तरवर्ती क्षेत्रों में आना जाना पड़ता है। इस प्रकार नदी और नाव से इधर के लोगों की संगति अपरिहार्य है। नदी के दक्षिणी हिस्से में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय समेत कुल चार सरकारी विद्यालयों का संचालन होता है।इन विद्यालयों में कार्य करने वाले करीब तीन दर्जन शिक्षकों में से एक शिक्षक मदन राम का घर ही उस क्षेत्र अर्थात दियारे में है। शेष सभी शिक्षक उत्तरी क्षेत्रों से जाते हैं। इनमे से कुछ शिक्षक बिहार से बाहर के भी हैं। एक दो शिक्षकों को छोड़कर बाकी सभी शिक्षक दूर दूर से आते हैं। इन्हें हर दिन अपना आवास सुबह करीब सात बजे ही छोड़ना पड़ता है। नदी तट पर निजी नौकाएं लगी रहती हैं। नौका से यात्रा करने के लिए प्रतिदिन एक हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। अपने अपने हिस्से की रकम देकर शिक्षक यह समूची रकम नौका वाले को चुकाते हैं। उच्च माध्यमिक विद्यालय,धरनी पट्टी पश्चिमी के प्रधानाध्यापक अमरेश कुमार भगत ने बताया कि सरकार से अनेक बार सरकारी नाव उपलब्ध कराने का निवेदन किया गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। शिक्षकों ने बताया कि ऑनलाइन हाजिरी बनाने की बाध्यता से उनका तनाव बढ़ा है। इसी विद्यालय के अजय कुमार राय ने बताया कि आनलाइन हाजिरी बनाने के लिए बेचैन होकर आना पड़ता है, नेटवर्क की उपयुक्त उपलब्धता नहीं होने के कारण देर तक मोबाइल लेकर इधर उधर भटकना पड़ता है। इसी विद्यालय के सबसे बुजुर्ग शिक्षक महेश प्रसाद राय हाल ही में नाव से पानी में गिर पड़े थे, बहुत मुश्किल से उन्हें बचाया जा सका था। लेकिन उनकी साइकिल और मोबाइल को बचाया न जा सका। प्राथमिक विद्यालय, सरसावा के शिक्षक रविशंकर राय और ज्ञान प्रकाश ने मांग की कि नदी मार्ग में सुरक्षा के लिए उन्हें तैराकी जैकेट उपलब्ध कराये जायें।
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