Hindi Newsबिहार न्यूज़Salary of 20 thousand along with training fraud worth crores by making a call centre Cyber gang busted in Patna

ट्रेनिंग के साथ 20 हजार की सैलरी, कॉल सेंटर बनाकर करोड़ों का फ्रॉड; पटना में साइबर गैंग का पर्दाफाश

छानबीन में पता चला कि पेशेवर तरीके से कॉल सेंटर बनाकर ठगी का रैकेट चलाया जा रहा था। गिरोह अलग-अलग राज्यों में स्थानीय भाषा में लोन का विज्ञापन देते थे। कॉल आने पर शातिर उन्हें जाल में फंसा उनसे अलग-अलग बहाने से रुपये मांगते थे।

sandeep हिन्दुस्तान, पटना, वरीय संवाददाताSun, 8 Dec 2024 06:24 PM
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साइबर पुलिस ने पटना के रामकृष्णानगर इलाके से अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया है। वे एक बड़ी कंपनी से लोन देने और इंश्योरेंस कराने के नाम पर लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे। गिरोह का मास्टरमाइंड गोल्डन कुमार शेखपुरा का रहने वाला है। जबकि अन्य आरोपित आंध्र प्रदेश, गुजरात और तेलंगाना इत्यादि राज्यों के रहने वाले हैं।

शातिर बीते तीन माह से ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। वे अब तक सैकड़ों लोगों को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं। पुलिस पीड़ित सहित ठगी की कुल राशि का पता लगाने के साथ गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी की कोशिश में जुट गई है। आरोपितों के पास से 28 मोबाइल फोन, 114 एटीएम कार्ड, 200 संदिग्ध बैंक खाते का नंबर और सात सिम कार्ड मिले हैं।

एसपी पश्चिमी शरथ आरएस ने बताया कि नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर लोन दिलाने के नाम पर ठगी का लगातार शिकायतें आ रही थीं। शातिर लोगों को लोन देने और इंश्योरेंस करवाने के बहाने उनसे प्रोसेसिंग फीस व अन्य बहाने से रुपये की ठगी कर रहे थे। ठगी की राशि अगल-अलग खाते में भेज कुछ ही देर में उन्हें निकाल ली जा रही थी। इसकी जांच साइबर थाना डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी को सौंपी गई थी। साइबर थाने की टीम ने तकनीकी अनुसंधान में पाया कि हाल में इस प्रकार की ठगी की घटना को रामकृष्णा नगर से अंजाम दिया जा रहा है। जिसके बाद पुलिस ने रामकृष्णा नगर स्थित एक फ्लैट पर शुक्रवार को छापा मारकर वहां से गिरोह के सरगना सहित 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

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कॉल सेंटर बनाकर कर रहे थे लोगों से ठगी

छानबीन में पता चला कि पेशेवर तरीके से कॉल सेंटर बनाकर ठगी का रैकेट चलाया जा रहा था। गिरोह अलग-अलग राज्यों में स्थानीय भाषा में लोन का विज्ञापन देते थे। कॉल आने पर शातिर उन्हें जाल में फंसा उनसे अलग-अलग बहाने से रुपये मांगते थे। मोटी रकम लेकर आरोपित पीड़ितों से संपर्क खत्म कर लेते थे। स्थानीय भाषा में लोगों से बात करने के लिए अलग-अलग राज्य के युवकों को गिरोह में शामिल किया जाता था। ऐसे युवकों की अहमियत दी जाती थी जिन्हें हिंदी, अंग्रेजी का पूरा ज्ञान हो। पटना आने पर आरोपितों को एक हफ्ते का प्रशिक्षण देने के साथ ही ठगी के गुर सिखाए जाते थे। इसके लिए उन्हें हर माह 20 हजार तक की तनख्वाह के अलावा कमीशन भी दिया जाता था। आरोपित गुजरात, आंध्रप्रदेश सहित तेलंगाना के लोगों से ठगी कर रहे थे।

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ये हैं आरोपित

ठगों की पहचान गोल्डेन कुमार (शेखपुरा), अरमजीत हरेंद्र (नवादा) मोहम्मद बाबा, फकीर जाकीर और बरधा शिवा कुमार (आंध्र प्रदेश), चिंताकायला कुमार, ए रमेश, इस्ताबत राजू, आई गणेश, चिंताकायला रमेश (तेलंगाना), अनिकेत संजय (दादरा नगर हवेली), राहुल प्रसाद सिलवासा के रूप में हुई है।

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