बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि हैकर द्वारा हैंडल कई बार बदला जा चुका है। इस हैंडल से ऐसी सामग्री पोस्ट की गई, जिनसे विभाग का कोई संबंध नहीं है।
अगर 50 लाख रुपये या इससे अधिक राशि की ठगी से जुड़े मामलों को समेकित तौर पर देखे, तो 2022 से 2025 तक 66 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें 72 करोड़ 65 लाख 37 हजार रुपये की ठगी की गई, जिनमें 8 करोड़ 11 लाख 47 हजार रुपये को ठगी के चंगुल में जाने से बचा लिया गया।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से सीमांचल के सात लोग को साइबर अपराधियों ने अपने चंगुल में फंसा लिया है। वहीं बैठे-बैठे इन लोगों से भारत में साइबर क्राइम कराया जा रहा है। गृह मंत्रालय की खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है।
दूरसंचार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, सबसे ज्यादा पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गोपालगंज, सीवान, मधुबनी, दरभंगा, नालंदा आदि जिले के उपभोक्ता हैं जिन्होंने गलत कागजात देकर सिम कार्ड कार्ड खरीदे हैं।
पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर अधिकारी व कर्मी कोर्स का हिस्सा बन सकते हैं। पहले चरण में इनके लिए यह कोर्स चलेगा। इसके बाद वॉलेंटियरिंग की शुरुआत की जाएगी। इस दौरान आम लोग भी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कर प्रशिक्षण ले सकेंगे।
बिहार के बेतिया से एक साथ तीन नाबालिग लड़कियों को अगवा कर लिया गया तो एक विवाहिता अपने छोटे छोटे दो बच्चों के साथ लापता हो गई। परिजनों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर छानबीन की जा रही है।
साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर आने वाली सभी तरह की साइबर धोखाधड़ी या फ्रॉर्ड की शिकायतों का अब श्रेणी के आधार पर वर्गीकरण किया जाएगा। इसके लिए 10 तरह की श्रेणियां बनाई गई हैं। इन्हीं श्रेणियों के आधार पर प्राप्त सभी शिकायतों का पहले वर्गीकरण करने के बाद ही इन्हें दर्ज किया जाएगा।
विदेश में बैठा साइबर ठग कुछ वेबसाइट बनाये हुए हैं। उन वेबसाइट पर जाकर अपना फोन नंबर डालते हैं। इसके बाद डिस्प्ले नंबर डालते हैं। डिस्प्ले नंबर बिहार के किसी जिला का लोकल नंबर होता है। जिसके पास फोन आता है उसे लगता कि बिहार के किसी जगह से फोन आया है। ऐसे 10.20 लाख नंबर को ब्लॉक किया गया है।
ऑनलाइन ठगी के नए-नए तरीके इजाद कर रहे साइबर ठगों से ग्राहकों को बचाने के लिए बिजली कंपनी ने उपभोक्ताओं को सतर्क और जागरूक रहने कहा है।
सऊदी अरब व पाकिस्तान से सबसे ज्यादा कॉल आते हैं। जिन उपभोक्ताओं को कोड का पता नहीं होता है वो कॉल उठा लेते हैं। ठग उनसे क्षेत्रीय भाषा में बात करते हैं। इससे लगता है कि अपने ही जान पहचान का होगा। ऐसे में वो बैंक व आधार से जुड़ी जानकारी साझा कर देते हैं।