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पहले जैसे अब नीतीश कुमार नहीं हैं, वो थक गए हैं; कार्यकर्ता संवाद यात्रा में तेजस्वी यादव का सीएम पर निशाना

तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोगों ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया था। लेकिन वही सीएम इसे केंद्र से लागू करवाने में असफल साबित हो रहे हैं। आज बिहार की जनता पूरी तरह परेशान है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान टीम, मुंगेरWed, 4 Dec 2024 02:01 PM
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पहले वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब नहीं रहे,विकास के मामले में मुख्यमंत्री का अब कोई विजन नहीं रह गया है। अब वह थक गए हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री सिर्फ मुखौटा हैं। बिहार को आगे बढ़ाने के लिए सीएम के पास कोई विजन ही नहीं है।आज वैकेंसी निकल रही है, लेकिन उसमें आरक्षण नहीं मिल रहा है। जाति आधारित गणना में भी भाजपा के लोग थे वह पूरी तरह आरक्षण संविधान के खिलाफ हैं।

तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोगों ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया था। लेकिन वही सीएम इसे केंद्र से लागू करवाने में असफल साबित हो रहे हैं। आज बिहार की जनता पूरी तरह परेशान है। स्मार्ट मीटर , जमीन सर्वेक्षण से लोग परेशान हो गए हैं। बिजली काफी महंगी हो गई है। हमारी सरकार आएगी तो हम 200 वॉट बिजली फ्री देंगे। हमने 17 महीने में 4.5 लाख लोगों को नौकरी दी। जनता की समस्याएं दूर की , विधि व्यवस्था आज के दिन में चौपट हो गई है।

तेजस्वी ने कहा कि सीएम जनसंवाद कार्यक्रम में ढाई सौ करोड़ खर्च होगा। यह कहां का न्याय है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाए जाने के मामले में मुख्यमंत्री चुप क्यों हैं? बाढ़ पीड़ितों को राशि नहीं मिल रही है , लेकिन मुख्यमंत्री एक जिलों में बैठकर तीन जिलों के लोगों की समस्या सुनेंगे। जनता का पैसा है, जनता जानना चाहती है कि एक कार्यक्रम में तीन जिलों के लोगों का संवाद कैसे कर लेंगे। जनता दरबार में भी समस्या का समाधान नहीं होता है, तो क्या दो घंटा में सीएम समस्या का समाधान कर लेंगे।

तेजस्वी ने कहा कि हम लोग बिहार को अगर आगे बढ़ाने में काम करेंगे, इसका प्लान हम लोगों ने तैयार कर लिया है , हमारे आने से पहले पेपर लीक होता था, लेकिन हमारे समय में पेपर लीक नहीं हुआ। डेढ़ लाख की वैकेंसी के लिए हमने खाखा तैयार कर लिया था लेकिन वह ठंडे बस्ते में चला गया। विधानसभा में आरक्षण का मामला उठाया तो इस पर भी सरकार ध्यान नहीं दिया।

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