मानसिक विभाग में आ रहे डिप्रेशन के शिकार रोगी
पूर्णिया के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के मानसिक विभाग में रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। पिछले तीन महीनों में मानसिक रोगियों की संख्या 250 से बढ़कर 285 हो गई है। डिप्रेशन और नशे से...

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवम अस्पताल के मानसिक विभाग में प्रत्येक दिन मानसिक रूप से किसी न किसी प्रकार के ग्रसित रोगी आ रहे हैं। इन दिनों लगभग दस फीसदी से अधिक रोगी का इजाफा हो रहा है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मानसिक विभाग में आने वाले रोगी की संख्या जहां दो सौ से अधिक थी यह संख्या अब ढ़ाई सौ पार हो गया है। इनमें नए रोगी की संख्या 100 के पार है। इस तरह से प्रत्येक दिन चार से पांच नए रोगी आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मानसिक विभाग में रोगियों को देख रहे मनो सामाजिक कार्यकर्ता ज्वाईनल एबी बताते हैं की इन दिनों मानसिक के अलग अलग रोगी बढ़ रहे हैं।
इनमें खासकर डिप्रेशन के अधिक मामले हैं। वे बताते हैं की माह के कुल संख्या में लगभग तीस फीसदी रोगी मानसिक परेशानी में डिप्रेशन के शिकार होते हैं। इनके अलावा अत्यधिक सोचने की परेशानी भरे लोग भी अत्यधिक आते हैं। दस फीसदी युवा में अलग अलग नशा की परेशानी लिए आते हैं। वे बताते हैं की डिप्रेशन की परेशानी लिए लोगों में काउंसिलिंग के दौरान आने वाली परेशानी में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो शादी शुदा है। इनकी उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच ज्यादा होती है। इनकी यह परेशानी काउसिलिंग में आती है किसी की नौकरी चली गई तो किसी का जमीन का केश चल रहा है। किसी को सम्पत्ति जाने की चिंता सता रही है। कोरोना काल के समय से भी कुछ लोग परेशानी से उबर नहीं पाए हैं। आय से अधिक खर्च आदि कई बिन्दुओं हैं जिनकी वजह से लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को शुरुआत में दवा चलाई जाती है जब कुछ सुधार दिखता है तो काउसिलिंग कर उनके कारणों का पता लगाकर परिवार के सहयोग से दूर करने की पहल की जाती है। .....हर शनिवार को रोगी व परिवार के सदस्यों के बीच काउंसिलिंग और जरूरी सलाह: मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मानसिक विभाग में तैनात ज्वाईन एवी बताते हैं की मानसिक रोगी के साथ साथ अन्य किसी भी तरह की परेशानी के लिए रोगी के साथ-साथ उनके परिजन को प्रत्येक शनिवार को बुलाया जाता है। रोगी के उपचार के साथ-साथ मानसिक परेशानी को दूर करने के लिए उनके परिवार के सदस्यों के बीच काउंसिलिंग की जाती है ताकि उनकी सही परेशानी का समझा जा सके। इससे काउंसिलंग के बाद रोगी के उपचार में मदद मिलती है। इससे एक साथ दो तीन तरफ से रोगी को ठीक करने में कार्य को अंजाम दिया जाता है। मसलन परिवारिक दृष्टि से उनके उपर निगरानी रखते हुए उनकी समस्या को समझना और दूर करना । इनके अलावा निर्धारित समय पर दवा सेवन करना और खान पान के साथ साथ रहन सहन का वातावरण बनाए रखते हुए रोगी को पूरी तरह से स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए परेशानी से परे काम करना ताकि रोगी को मानसिक रूप से किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। इसमें परिवार के सहयोग भी मिलती है। इससे धीरे धीरे रोगी की परेशानी में सुधार आता है। .....मानिसक विभाग में अलग-अलग आने वाले रोगी: मानसिक विभाग में तैनात जानकार बताते हैं की यहां मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आउटडोर के दौरान मानसिक विभाग में आने वाले अलग अलग रोगी मसलन डिप्रेशन, नशा सेवन, अजीबो गरीब व्यवहार, अनिंद्रा की शिकायत, ज्यादा गुस्सा, बात बात में मारपीट, चिरचिरापन, उदासी की स्थिति, अधिक चिंतन करना आदि परेशानी लिए रोगी आता है। ऐसे रोगी की परेशानी को समझते हुए उन्हें उचित सलाह के साथ दवा प्रदान की जाती है। यह सेवा रोगी के ठीक होने तक नियमित रूप से चलता है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मानसिक विभाग में आने वाले रोगी की संख्या पर एक नजर गौर करें तो विभागी जानकारी में जनवरी माह में नए पूराने से 250 रोगी, फरवरी माह में नए पूराने से 265 रोगी तथा मार्च माह में नए पूराने से कुल 285 रोगी देखे गए। इस तरह से देखा जाय तो तीन माह में प्रत्येक माह में रोगी की संख्या में इजाफा हो रहा है।
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