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भीड़ में ट्रेन पर चढ़कर महाकुंभ नहीं पहुंच पाया यात्री, रेलवे से मांगा 50 लाख का हर्जाना

पीड़ित राजन झा ने आरोप लगाया कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही की वजह से वह मुजफ्फरपुर से प्रयागराज की ट्रेन नहीं पकड़ पाए। इस कारण मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करके मोक्ष पाने से वह वंचित रह गए। उन्होंने रेलवे से 15 दिन के भीतर 50 लाख का हर्जाना देने की मांग की है।

Jayesh Jetawat लाइव हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरFri, 31 Jan 2025 09:47 PM
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भीड़ में ट्रेन पर चढ़कर महाकुंभ नहीं पहुंच पाया यात्री, रेलवे से मांगा 50 लाख का हर्जाना

महाकुंभ 2025 के चलते उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की ओर जाने वालीं ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं है। बिहार के मुजफ्फरपुर का एक यात्री टिकट होने के बावजूद भीड़ की वजह से ट्रेन में चढ़ नहीं पाया। जिस ट्रेन में उसे चढ़ना था, उसका दरवाजा अंदर से बंद था। रेलवे प्रशासन से शिकायत करने के बावजूद दरवाजा नहीं खुल पाया। इस कारण वह महाकुंभ में स्नान करने से वंचित हो गया। अब यात्री ने रेलवे को नोटिस भेजकर 50 लाख रुपये का हर्जाना मांगा है।

जानकारी के अनुसार गायघाट थाना क्षेत्र के सुभाष केशो ग्राम निवासी राजन झा ने अपने सास-ससुर के साथ 27 जनवरी को मुजफ्फरपुर से प्रयागराज तक जाने के लिए रेलवे का टिकट लिया था। जब ये लोग ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुंचे तो भारी भीड़ की वजह से कोच का दरवाजा नहीं खुल पाया। परेशान यात्री ने इसकी शिकायत रेलवे पदाधिकारियों से की, मगर प्रशासन के द्वारा ट्रेन के कोच का गेट नहीं खुलवाया गया। इस कारण राजन झा और उनके परिजन ट्रेन पर नहीं चढ़ पाए और गाड़ी रवाना हो गई।

अब राजन झा ने रेलवे के चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को कानूनी नोटिस भेजा है। उनके वकील एसके झा ने बताया कि यह पूरा मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सेवा में कमी से जुड़ा हुआ है।

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रेलवे प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि मुजफ्फरपुर से प्रयागराज तक यात्रियों को समय पर पहुंचाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पवित्र महाकुंभ महाकुंभ सालों बाद आया है। राजन झा और उनके परिजन को मोक्ष की प्राप्ति के लिए मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करना था। मगर रेलवे की लापरवाही की वजह से इन लोगों को मोक्ष से वंचित कर दिया गया।

कानूनी नोटिस के जरिए पीड़ित यात्री ने रेलवे से आर्थिक और मानसिक हर्जाने के रूप में 50 लाख रुपये की राशि की मांग की है। इसमें कहा गया है कि अगर रेलवे के द्वारा 15 दिनों के भीतर हर्जाना की राशि नहीं दी गई तो कोर्ट में मुकदमा किया जाएगा।

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