पशुपति पारस को हाई कोर्ट से राहत, लोजपा दफ्तर खाली कराने के आदेश पर 13 नवंबर तक रोक
पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार के भवन निर्माण विभाग द्वारा पशुपति पारस के गुट वाली लोक जनशक्ति पार्टी का दफ्तर जबरन खाली कराने के आदेश पर 13 नवंबर तक रोक लगा दी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को पटना हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें लोजपा के पटना एयरपोर्ट के पास स्थित कार्यालय जबरन खाली कराने को कहा गया था। इस आदेश पर आगामी 13 नवंबर तक रोक रहेगी। बता दें कि जिस भवन में रालोजपा का दफ्तर चल रहा है, उसे बिहार सरकार ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के गुट वाली लोजपा (रामविलास) को आवंटित कर दिया था। हाल ही में भवन निर्माण विभाग ने पशुपति पारस के गुट वाली रालोजपा को यह दफ्तर सात दिनों के भीतर खाली करने का आदेश दिया था।
22 अक्टूबर को भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार सिंह ने आरएलजेपी को नोटिस जारी कर कहा था कि वह एक सप्ताह के भीतर कार्यालय खाली कर दें, अन्यथा विभाग को बलपूर्वक भवन पर कब्जा करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। आरएलजेपी ने इस आदेश को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दी। पार्टी ने दलील दी कि इस प्रक्रिया में निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं किया गया। इसका मामला पहले से हाई कोर्ट में लंबित है। आरएलजेपी की ओर से अधिवक्ता वाईबी गिरी और आशीष गिरी ने अदालत में पार्टी का पक्ष रखा। जबकि महाधिवक्ता पीके शाही ने बिहार सरकार की ओर से बहस की।
पटना एयरपोर्ट के पास शहीद पीर अली खान रोड पर स्थित कार्यालय परिसर 30 जून, 2006 को रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को आवंटित किया गया था। पशुपति पारस स्वर्गीय रामविलास पासवान के भाई हैं। हालांकि, इस साल हुए लोकसभा चुनाव से पहले पारस के गुट वाली लोजपा को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दरकिनार करते हुए उनके भतीजे चिराग पासवान के गुट को तरजीह दी थी। इसके बाद पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसी दौरान नीतीश सरकार की ओर से उनके कार्यालय का आवंटन रद्द कर दिया गया था।
भवन निर्माण विभाग के मंत्री जयंत राज ने कहा कि राष्ट्रीय राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टियों से संबंधित नियमों के अनुसार ही कार्यालय का आवंटन किया जाता है। चुनाव आयोग से पार्टी की संबद्धता खत्म होने के बाद आवंटित कार्यालय वापस ले लिया जाता है। वहीं, आरएलजेपी के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि उनकी पार्टी अदालत के आदेश का सम्मान करती है। हमने अपनी बात अदालत में रखी है। बिहार में रालोजपा को राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में कार्यालय हमें मिलना चाहिए। अगर हमें कहीं और कार्यालय मिलता है तो भी ठीक रहेगा। जरूरी नहीं कि हमें सिर्फ यही कार्यालय चाहिए।