लोजपा ऑफिस खाली नहीं करने पर अड़ी पशुपति पारस की पार्टी, नीतीश से कहा- हस्तक्षेप करें
पशुपति पारस की पार्टी रालोजपा ने भवन निर्माण विभाग द्वारा पटना स्थित लोजपा का दफ्तर खाली कराए जाने के आदेश पर नाराजगी जाहिर की है। रालोजपा का कहना है कि मामला कोर्ट में लंबित है तो विभाग चिट्ठी पर चिट्ठी क्यों भेज रहा है। उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी के दबाव में आकर कार्रवाई का आरोप लगाया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) पटना एयरपोर्ट के पास स्थित सरकारी भवन को खाली नहीं करने पर अड़ी है। रालोजपा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मामले में हस्तक्षेप कर न्याय दिलाने की गुहार लगाई है। इस भवन में रालोजपा का कार्यालय चल रहा है। बिहार के भवन निर्माण विभाग ने इस भवन को पारस के भतीजे सह केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के गुट वाली पार्टी लोजपा (रामविलास) को आवंटित कर दिया गया है। अब विभाग की ओर से शुक्रवार को पारस की पार्टी को नोटिस भेजकर सात दिनों के भीतर इसे खाली करने का निर्देश दिया गया है। विभागीय अधिकारी की ओर से कहा गया कि तय समय में भवन खाली नहीं किया गया तो इसे जबरन खाली करवाया जाएगा।
वहीं, रालोजपा ने भवन निर्माण विभाग द्वारा कार्यालय आवंटन रद्द करने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने इसे चुनाव आयोग एवं राज्य कैबिनेट के फैसले के विपरीत बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी आवंटन से संबंधित सभी मामले अभी कोर्ट में लंबित हैं। उसके बावजूद भवन निर्माण विभाग चिट्ठी पर चिट्ठी लिखकर कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बजाय किसी के दबाव में पार्टी कार्यालय खाली करने का आदेश दे रहा है, जो कहीं से न्यायसंगत नहीं है।
रालोजपा दफ्तर से शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए अग्रवाल ने कहा कि 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी के विभाजन के बाद रालोजपा को राज्यस्तरीय दल का दर्जा निर्वाचन आयोग से मिला हुआ है। ऐसे में उससे पार्टी दफ्तर खाली करवाना अन्यायपूर्ण कार्रवाई है। उन्होंने आरोप लगाया कि खास राजनीतिक दल (लोजपा रामविलास) के दबाव में यह सब किया जा रहा है।