बिहार में एक और पेपरलीक कांड! CHO भर्ती परीक्षा में EOW की रेड के बाद एग्जाम रद्द, अब तक 37 अरेस्ट
बिहार में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी (CHO) की परीक्षा रद्द कर दी गई है. इसके पीछे का कारण यह सामने आ रहा है कि पेपर लीक का शक है। सोमवार (02 दिसंबर) को परीक्षा रद्द करने के संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी गई है। ईओयू ने 37 लोगों को हिरासत में लिया है।
बिहार में एक बार फिर से पेपर लीक और अनुचित साधनों के इस्तेमाल की आशंका के बीच सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) पद की दो दिवसीय ऑनलाइन कंप्यूटर-आधारित परीक्षा (सीबीटी) को रद्द कर दिया गया है। बिहार राज्य स्वास्थ्य सोसायटी द्वारा आज (2 दिसंबर) का परीक्षा कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है, 4500 पदों के लिए परीक्षा का आयोजन हुआ था। एग्जाम सेंटरों पर परीक्षा में गड़बड़ी की इस साल की ये तीसरी घटना है।
डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को कई ऑनलाइन एग्जाम सेंटर्स पर धांधली की जानकारी मिली थी। परीक्षा की दूसरी पाली के दौरान तीन केंद्रों पर प्रॉक्सी सर्वर, रिमोट व्यूइंग एप्लिकेशन और सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके, एक सॉल्वर गिरोह को वास्तविक समय में ऑनलाइन आधारित परीक्षा तक अनधिकृत पहुंच प्रदान की गई थी। ईओयू ने गड़बड़ी करने के आरोप में शाइन टेक प्राइवेट लिमिटेड के लोगों, ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों के प्रमुखों, ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों के आईटी प्रबंधकों, परीक्षा समन्वयकों और आईटी सहायक कर्मचारियों सहित 37 लोगों को हिरासत में लिया है।
उन्होंने कहा कि तलाशी के दौरान कंपनी के मालिकों और कर्मचारियों के विभिन्न ठिकानों से कंप्यूटर, मोबाइल फोन, एडमिट कार्ड, उम्मीदवारों के मूल दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल उपकरणों के अलावा एटीएम, डेबिट और क्रेडिट कार्ड भी बरामद किए गए। मामले की तह तक जाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है और परीक्षा रद्द कर दी गई है। तमाम राज्य एजेंसियों द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकने के लिए बिहार सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 में परीक्षा प्रणाली में छेड़छाड़ करने वाले व्यक्तियों, संगठित गिरोहों और संस्थानों पर अंकुश लगाने के लिए 10 साल की कठो सजा और एक करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य स्वास्थ्य सोसायटी, बिहार (SHSB)ने राज्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अनुबंध के आधार पर सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) की भर्ती के लिए ऑनलाइन कंप्यूटर-आधारित परीक्षण (सीबीटी) आयोजित करने का निर्णय लिया था। जबकि 2022 में 4050 सीएचओ की भर्ती बीएससी नर्सिंग या पोस्ट बेसिक बीएससी में प्राप्त अंकों के आधार पर की गई थी। इस साल, एसएचएसबी ने सीएचओ के 4,500 पदों का विज्ञापन दिया था, जिसके लिए 17,648 उम्मीदवारों ने ऑनलाइन सीबीटी लेने के लिए आवेदन किया था। सीएचओ उम्मीदवारों के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 21 नवंबर थी। 29 नवंबर से एडमिड कार्ड डाउनलोड करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। 1 और 2 दिसंबर को पटना के 12 केंद्रों पर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित थी।
परीक्षा के दौरान किसी भी गड़बड़ी को रोकने और पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर एक मजिस्ट्रेट और बिहार प्रशासनिक सेवा के 12 वरिष्ठ अधिकारियों को वरिष्ठ मजिस्ट्रेट के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर एक पर्यवेक्षक और एक वरिष्ठ पर्यवेक्षक और पुलिस कर्मियों की भी प्रतिनियुक्ति की गई थी। एसएचएसबी द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने पुलिस की साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञ टीम को भी सतर्क किया था, और परीक्षा के दौरान अत्यधिक सतर्कता बनाए रखने का अनुरोध किया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में निवारक, प्रोत्साहन और उपचारात्मक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करता है। सीएचओ की भूमिका का उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में अंतर को भरना है।
CHO की परीक्षा की विफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि एग्जाम सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करने वाले गैंग एक कदम आगे चल रहे हैं। जिनका विभाग और परीक्षा निकाय के लोगों के साथ संबंध हो सकते हैं। ये बात एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही। इस साल की शुरुआत में जब NEET-UG पेपर लीक हुआ तो बिहार को बदनामी का सामना करना पड़ा और मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया। नीट-यूजी पेपर लीक का मास्टरमाइंड संजीव मुखिया अभी भी फरार है।
शीर्ष अदालत ने यह भी पाया कि प्रश्न लीक पटना और हज़ारीबाग़ में हुआ, हालांकि उसने इस आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की, क्योंकि इसका प्रभाव पूरे देश में नहीं था।कुछ महीने पहले, ईओयू ने केंद्रीय चयन पर्षद (सीएसबी) द्वारा पिछले साल आयोजित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में 16 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। आरोप पत्र में संजीव मुखिया के बेटे डॉ शिव उर्फ बिट्टू का नाम शामिल है। बाद में सेंट्रल सिलेक्शन बोर्ड ऑफ कॉन्स्टेबल्स (CSBC) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) एसके सिंघल को हटा दिया गया
पिछले पांच वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। बीपीएससी द्वारा आयोजित TRE-3 शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक के कारण इस साल की शुरुआत में रद्द कर दी गई थी। बाद में दोबारा परीक्षा का आयोजन किया गया। पिछले साल सीएसबीसी द्वारा 21,391 रिक्तियों के लिए आयोजित कांस्टेबलों की भर्ती परीक्षा पहले ही दिन प्रश्न पत्र लीक होने के कारण रद्द कर दी गई थी। परीक्षा के लिए 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। 2022 में, एक संगठित गिरोह द्वारा प्रश्न लीक के आरोपों के बाद BPSC ने अपनी 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगी परीक्षा रद्द कर दी। इससे पहले प्रश्न लीक के बाद एसएससी (इंटरमीडिएट स्तर) परीक्षा रद्द कर दी गई थी और भारी हंगामे के बाद तत्कालीन अध्यक्ष को गिरफ्तार कर लिया गया था।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष को भी बोर्ड परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोप और केंद्र प्रबंधन द्वारा कुछ लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2017 में, एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को 2017 में बिहार एसएससी प्रश्न लीक में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था और बाद में निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें 2021 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई और उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।