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सिपाही पेपर लीक में पूर्व डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें बढ़ीं, ईओयू ने की कार्रवाई की सिफारिश

सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में केंद्रीय चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष और बिहार के पूर्व डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। ईओयू ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, पटना, कौशिक रंजनFri, 13 Sep 2024 03:31 AM
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बिहार पुलिस सिपाही बहाली के पेपर लीक मामले में पूर्व डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) एसके सिंघल की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष सह पूर्व डीजीपी सिंघल को दोषी पाया है। उन पर लापरवाही और नियमों की अनदेखी के आरोप लगे हैं। ईओयू के एडीजी ने राज्य के मौजूदा डीजीपी को तमाम सबूतों के साथ सिंघल के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही शुरू करने की अनुशंसा की है। एडीजी ने डीजीपी को इस संबंध में पत्र भेजा है। हालांकि, सिंघल के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों से जुड़े सबूत नहीं हैं।

विशेष जांच दल ने सिपाही पेपर लीक की जांच लगभग पूरी कर ली है। जांच टीम ने पाया है कि पर्षद अध्यक्ष ने लापरवाही के अलावा नियमों एवं मानकों की अनदेखी की। उन्होंने अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं किया, जिसकी वजह से सुनियोजित तरीके से एक संगठित आपराधिक गिरोह ने पेपर लीक किया। हालांकि, एसआईटी ने जांच में पाया कि तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ आपराधिक गतिविधि से संबंधित साक्ष्य नहीं मिले हैं।

जांच एजेंसी का मानना है कि सिंघल के दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण परीक्षा की कड़ी (चेन ऑफ कस्टडी) की गोपनीयता और सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए निर्धारित मानकों की अनदेखी की गई। इस कारण पेपर लीक हुआ था। इसलिए इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। इस अनुशंसा के मद्देनजर अब डीजीपी और राज्य सरकार को अंतिम रूप से निर्णय लेना है।

जांच के दौरान एसके सिंघल से ईओयू की टीम तीन से चार बार पूछताछ कर चुकी है। इस दौरान कई तथ्यों पर उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि बहाली परीक्षा की गोपनीयता, विश्वसनीयता, अखंडता और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अध्यक्ष की थी।

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इन तथ्यों के जवाब नहीं दे पाए एसके सिंघल

1. प्रश्न पत्र छापने और अन्य गोपनीय कार्य के लिए कॉलटेक्स मल्टीवेंचर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के साथ 28 मार्च 2023 को एकरारनामा किया गया। जबकि इस कंपनी के पास महज दो वर्ष का अनुभव है। इस फर्जी कंपनी के निदेशक एवं अभियुक्त संजय दास पहले से ही एक दूसरी कंपनी ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस पाइवेट लिमिटेड के साथ समझौता कर रखा था। जब इस मामले के बारे में एसके सिंघल से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि दोनों कंपनियों के बीच समझौते के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। परंतु जांच में पाया गया कि पूरी परीक्षा के दौरान एसके सिंघल का संपर्क ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्राइवेट लिमिटेड से रहा है। वे इस कंपनी के प्रांगण में गए और रात्रि विश्राम भी किया।

2. कॉलटेक्स मल्टीवेंचर कंपनी की निदेशक तनविशा धर थी, जो आरोपी कौशिक कुमार कर की पत्नी है। कौशिक कुमार ब्लेसिंग सिक्योर कंपनी के निदेशक हैं। बाद में तनविशा धर को हटाकर इन्होंने मार्केटिंग एजेंट सौरभ बंदोपाध्याय को कॉलटेक्स का निदेशक बना दिया। सौरभ भी आरोपी हैं और इन्होंने ही एसके सिंघल के साथ एकरारनामा पर हस्ताक्षर किया था। इस एकरारनामा में कॉलटेक्स मल्टीवेंटर कंपनी का कोई जिक्र नहीं था। जबकि यही कंपनी वास्तव में प्रश्न-पत्र छाप रही थी। इस बारे में एसके सिंघल ने कोई तर्कसंगत उत्तर नहीं दिया।

सिपाही भर्ती पेपर लीक में कब क्या हुआ-

- बिहार पुलिस में सिपाही के 21 हजार 391 रिक्त पदों पर बहाली के लिए 2023 की शुरुआत में विज्ञापन निकला

- इसकी विज्ञापन संख्या 1/2023 थी

- इसकी लिखित परीक्षा 1 अक्टूबर 2023 को दो पालियों में आयोजित की गई

- परीक्षा के पहले ही प्रश्न पत्र और उत्तर सोशल मीडिया समेत अन्य जगह वायरल हो गए

- इसे लेकर विभिन्न जिलों में 74 केस दर्ज किए गए

- ईओयू ने 31 अक्टूबर 2023 को पहली बार एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की

- डीआईजी एमएस ढिल्लो की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया

- ईओयू ने 4 कंपनियों के निदेशकों समेत 16 लोगों के खिलाफ 22 अगस्त 2024 को पहली चार्जशीट दायर की

- ईओयू जल्द ही इस केस में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करेगी

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