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कोयल बिन बगिया ना सोहे राजा, जब पद्मश्री शारदा सिन्हा को सुनने उमड़ पड़ा था पूरा मुजफ्फरपुर

बिहार कोकिला का मुजफ्फरपुर में संगीत का कार्यक्रम शाम रात आठ बजे से था, लेकिन उनको सुनने के लिए चार घंटा पहले से ही सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। घरों की छत के अलावा जगह नहीं मिली तो लोग मुक्तिधाम तक में घुस गए।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, अनामिकाWed, 6 Nov 2024 10:07 AM
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Sharda Sinha News: कोयल बिन बगिया ना सोहे...। बिहार की संस्कृतिधानी कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर के सिकन्दरपुर में आयोजित एक समारोह में शारदा सिन्हा ने जैसे ही मंच से यह गाना शुरू किया, उनकी जादूभरी आवाज सुनने के लिए घर की छतों से लेकर मुक्तिधाम तक लाइन लग गई थी। बात डेढ़ दशक पहले की है, लेकिन आज भी शहर के लोगों की जुबां पर कायम है। बिहार कोकिला की खनकती आवाज पर लोगों के साथ पेड़-पौधे भी झूम उठे थे। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय पर पद्मश्री शारदा सिन्हा के अनंत की यात्रा पर चले जाने से लाखों लोग दुखी और शोकाकुल हैं। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके गीतों ने बिहार के महापर्व छठ को ग्लोबल बना दिया।

बिहार कोकिला का मुजफ्फरपुर में संगीत का कार्यक्रम शाम रात आठ बजे से था, लेकिन उनको सुनने के लिए चार घंटा पहले से ही सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। घरों की छत के अलावा जगह नहीं मिली तो लोग मुक्तिधाम तक में घुस गए। यह था उनकी आवाज का जादू और यह था उनके प्रति इस शहर के लोगों का असीम प्रेम और सम्मान। शारदा सिन्हा को सुनने के लिए रात के एक बजे तक लोग जमे रहे। उन्होंने भी किसी को निराश नहीं किया। लोगों की मांग पर कई गानों को उन्होंने गाया।

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उस समय को याद करती हुई लोक गायिक डॉ. पुष्पा प्रसाद कहती हैं कि शास्त्रीय संगीत के गायक श्री दांडेकर जी से मिलने वे सालों पहले शहर में लगातार आती थीं। श्री दांडेकर बच्चा बाबू के यहां संगीत की शिक्षा देते थे। संगीत के प्रति उनका प्रेम उन्हें यहां खींच लाता था। 2002-03 में वे शहर में कार्यकम में शिरकत करने आई थीं।

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पहली बार में ही सबको बना लेती थी अपना

शहर की खबड़ा निवासी गायिका इंदूबाला ने उनके साथ मंच साझा किया है। यादों को साझा करती हुईं कहती हैं कि वुमेन्स कॉलेज समस्तीपुर में कई बार उनसे मुलाकात हुई। पहली बार समस्तीपुर में मैं अपनी बहन की परीक्षा दिलाने गई थी, तब उनसे पहली मुलाकात हुई। इसके बाद उनसे अपनापन का रिश्ता जुड़ गया। बाद के दिनों में ढोली में एक कार्यक्रम में उनके साथ गाने का भी सौभाग्य मिला। उनका जाना हम सबके लिए एक टीस हमेशा के लिए छोड़ गया।

पति के निधन के बाद बीमार होने के कारण शारदा सिन्हा को दिल्ली स्थित AIIMS में भर्ती कराया गया था जहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था। मंगलवार की रात करीब 10 बजे वे इस दुनिया को अलविदा कह गईं। शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर आज विमान से पटना लाया जाएगा। गुरुवार को शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि पटना के गुलाबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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