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शारदा सिन्हा के गानों ने छठ को ग्लोबल बना दिया, बिहार कोकिला को नितिन नबीन की श्रद्धांजलि

मंत्री नितिन नबीन ने कहा है कि शारदा सिन्हा ने विश्व भर में बिहार का मान बढ़ाया। उनके गीतों ने बिहार के महापर्व छठ के लोकल से ग्लोबल बना दिया। बिहार यूपी का एक भी घर ऐसा नहीं है जहां बिहार कोकिला शारदा सिन्हा मौजूद नहीं हों। उन्होंने बिहार की संस्कृति विश्व भर में फैलाया।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पटनाWed, 6 Nov 2024 09:35 AM
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बिहार कोकिला के नाम से विख्यात रहीं पद्मश्री शारदा सिन्हा के निधन से बिहार समेत पूरा देश मर्माहत है। मंगलवार की रात दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू यादव, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत बड़े बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक जताया है उन्हें श्रद्धांजलि दी। बिहार सरकार के नगर विकास मंत्री नितिन नबीन ने भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। आज गुरुवार को पटना में उनके अंतिम संस्कार किए जाने की खबर है।

मंत्री नितिन नबीन ने कहा है कि शारदा सिन्हा ने विश्व भर में बिहार का मान बढ़ाया। उनके गीतों ने बिहार के महापर्व छठ के लोकल से ग्लोबल बना दिया। बिहार यूपी का एक भी घर ऐसा नहीं है जहां बिहार कोकिला शारदा सिन्हा मौजूद नहीं हों। उन्होंने बिहार की संस्कृति विश्व भर में फैलाया। उनके निधन से पूरा बिहार दुखी है। बॉलीवूड गायक उदित नारायण ने भी शारदा सिन्हा के देहावसान पर दुख जताया। उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए उदित नारायण ने कहा कि हमारा उनका घर एक ही इलाके में है। उनसे मेरा बहुत लगाव था।

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सांसद और एक्टर रवि किशन ने भी शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया। शारदा सिन्हा को बड़ी दीदी बताते हुए उन्होंने कहा कि बिहार, यूपी समेत पूरे देश में उन्होंने बिहार के कल्चर की अमिट छाप छोड़ी। शारदा सिन्हा लोगों के दिलों में बसती हैं। वे हमेशा हमारे बीच जिंदा रहेंगी।

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बताते चलें कि बीमार होने के कारण शारदा सिन्हा का दो सप्ताह से दिल्ली एक AIIMS में इलाज चल रहा था। मंगलवार की रात करीब 10 बजे अंतिम सांस ली है। शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर आज पटना लाया जाएगा। गुरुवार को शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि पटना के गुलाबी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। छठ गीतों से जबरदस्त लोकप्रियता पाने वाली शारदा सिन्हा का निधन भी छठ पर्व के पहले दिन यानी नहाय-खाय के दिन हुआ। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 में सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था। अपने परिवार में 8 भाईयों की इकलौती बहन थीं। बचपन से ही उन्हें संगीत में रूचि थी। मैथिली लोकगीत से उनका प्रेम बहुत गहरा था। मैथिली के अलावा भोजपुरी, मगही और हिंदी में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। बॉलीवुड की कई फिल्मों में उन्होने अपनी आवाज दी। शारदा सिन्हा को संगीत में उनके योगदान के लिए 1991 में 'पद्म श्री' और 2018 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।

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