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पद्म भूषण शारदा सिन्हा का मुजफ्फरपुर से क्या है नाता? ऐतिहासिक एलएस कॉलेज में गूंजती है आवाज

शारदा सिन्हा एलएस कॉलेज में अंग्रेजी की छात्रा थीं। हिन्दी विभाग की ओर से ‘तुलसी की एक शाम’ का आयोजन किया गया था। उन्होंने जब गाना शुरू किया तो लोग उनके कायल हो गए। यह बात 70 के दशक की है।

Sudhir Kumar लाइव हिन्दुस्तानWed, 6 Nov 2024 10:42 AM
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Sharda Sinha Newes:छठ गीतों का पर्याय बन चुकी शारदा सिन्हा में मुजफ्फरपुर की माटी भी रची बसी थी। उनका ननिहाल रेवारोड स्थित मड़वन गांव में है। उनके निधन की खबर से मड़वन में शोक की लहर दौड़ गई है और लोग उनके ननिहाल के किस्सों को याद करते नहीं थक रहे हैं। मुजफ्फरपुर के ऐतिहासिक एलएस कॉलेज में आज भी उनकी आवाज गूंजती है जहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने चंपारण में स्वाधीता आन्दोलन की रणनीति पर विमर्श किया और पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद प्रोफेसर थे।

जिले के मड़वन स्थित पेट्रोल पंप संचालक राजू कुमार सिंह उनके परिवार को याद करते हुए बताते हैं, शारदा सिन्हा के नाना जी की अनुशासनप्रियता के किस्से सुनकर लोग बड़े हुए हैं। शारदा सिन्हा के नाना जगदीशचंद्र शास्त्री बनारस के एक स्कूल में शिक्षक थे। मुजफ्फरपुर में जब विद्या विहार स्कूल की स्थापना हो रही थी, तो यहां के लोगों ने उन्हें बताया कि उनकी सेवा की जरूरत मुजफ्फरपुर को भी है। लोगों के आग्रह पर वे मुजफ्फरपुर चले आये और तब विद्या विहार स्कूल की स्थापना हुई। वे बेहद अनुशासनप्रिय प्राचार्य थे। उनकी पुत्री भी विद्या विहार स्कूल में शिक्षिका बनीं। एक दिन वह देर से स्कूल आईं तो उन्होंने अपनी शिक्षिका पुत्री को हाजिरी बनाने से रोक दिया। उन्होंने कहा कि आज आप देर से आई हैं, आज छुट्टी ले लीजिए। पुत्री ने ऐसा ही किया और अगले दिन से वह रिटायर होने तक समय का पालन करती रहीं। शारदा सिन्हा के ननिहाल के लोग अब बाहर रह रहे हैं। एक उनके रिश्तेदार डॉ. शरदचंद्र शर्मा पड़ोस के जिले में चिकित्सा पदाधिकारी हैं। म्शारदा सिन्हा पढ़ाई के दिनों में कुछ दिन ननिहाल में भी रही थीं।

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अंग्रेजी की छात्रा शारदा ने हिन्दी में गाकर किया था कायल

अंग्रेजी की एक छात्रा बहुत अच्छा गाती है। यह बात जब बताई गई तो पहले तो हिन्दी के शिक्षकों को थोड़ा संशय हुआ, मगर जब अन्य विभाग के शिक्षक और छात्रों ने भी कहा कि उनके स्वर में एक अलग ही कशिश है तब सबने उनके नाम पर मुहर लगा दी। यह नाम था शारदा सिन्हा का। यह बात 70 के दशक की है। एलएस कॉलेज के हिन्दी विभाग के तत्कालीन शिक्षक डॉ. प्रमोद कुमार यह बताते हुए उस आयोजन की शाम में खो जाते हैं।

तुलसी की एक शाम

85 वर्षीय डॉ. प्रमोद कुमार बताते हैं कि उस समय किशोर जी अध्यक्ष थे। शारदा सिन्हा एलएस कॉलेज में अंग्रेजी की छात्रा थीं। हिन्दी विभाग की ओर से ‘तुलसी की एक शाम’ का आयोजन किया गया था। उन्होंने जब गाना शुरू किया तो लोग उनके कायल हो गए। एलएस कॉलेज में स्वर कोकिला की यादें बरकरार हैं।

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आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के यहां भी आना जाना था

साहित्यकार डॉ. संजय पंकज बताते हैं कि बिहार कोकिला शारदा जी का आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री जी के यहां भी आना जाना था। अध्यापन से वे और उनके पति जुड़े हुए थे और मुजफ्फरपुर आने पर आचार्यश्री मिलने जरूर आते थे।

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