वन नेशन, वन इलेक्शन बिल कहीं से संविधान विरोधी नहीं; ललन सिंह ने बताया देश के लिए जरूरी
जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल कहीं से भी संविधान विरोधी नहीं है। 1952, 1957,1962,1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो चुके हैं, पहले से ही ये परंपरा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे कानूनी रूप दिया। जो देश के लिए भी जरूरी है।
लोकसभा में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल पेश हो गया है। जिसके पक्ष में 269 और विरोध में 198 वोट पड़े। कांग्रेस-सपा और TMC समेत कई विपक्षी पार्टियों ने बिल का विरोध किया। वहीं बीजेपी समेत एनडीए में शामिल सहयोगी दलों ने भी समर्थन किया। जिसमें नीतीश कुमार की जेडीयू भी शामिल है। एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल पर जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष, मुंगेर से सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने भी प्रतिक्रिया दी। इस बिल को देश की जरूरत बताया है।
ललन सिंह ने कहा कि ये बिल कहीं से भी संविधान विरोधी और संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं है। 1952, 1957,1962,1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हो चुके हैं, पहले से ही ये परंपरा थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे कानूनी रूप दिया। ताकि ये बाध्यता हो जाए। क्योंकि उसके बाद की जो परंपरा हुई। मध्यावधि चुनाव, अन्य चुनाव हुए। जिसके कारण पूरी चेन गड़बड़ा गई।
केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि इसके कई फायदे हैं। एक बार अगर देश में चुनाव होता है, तो इसके कई लाभ होते हैं। पूरे देश की पैरामिलिट्री फोर्स, पूरे राज्य की पुलिस चुनाव में व्यस्त हो जाती है। महीनों चुनाव चलता है, सारा लॉ एंड ऑर्डर खत्म हो जाता है। पैसा का व्यय होता है, विकास बाधित हो जाता है। राज्य का प्रशासन, केंद्र का प्रशासन, अलग राज्यों के अधिकारी अलग राज्यों में ऑब्जर्वर बनकर जाते हैं। सब काम ठप हो जाता है। इसलिए प्रधानमंत्री ने इसे कानूनी रूप देने का काम किया है। आपको बता दें वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में पेश करने के बाद अब जेपीसी के पास भेजा गया है।