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Hindi Newsबिहार न्यूज़Nitish Government water resource department orders probe into all bridges and culverts made within 10 years

सीरियल ब्रिज कोलैप्स के बाद नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, 10 साल में बने सभी पुल-पुलियों की होगी जांच

पुल-पुलियों के जांच की जिम्मेदारी विभाग के सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता के अलावा केन्द्रीय रूपांकण, शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी गयी है। उनसे कहा गया है कि क्षेत्रीय स्तर से एनओसी में निहित शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को समर्पित करें।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाThu, 5 Sep 2024 03:24 AM
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बिहार में पिछले 10 वर्षों में जितने भी पुल-पुलिया बने हैं, उनको दी गई एनओसी की शर्तों की जांच होगी। जल संसाधन विभाग ने इस संबंध में अपने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इसके तहत पुल-पुलियों के साथ अन्य जितनी भी संरचनाओं का निर्माण किया गया है, सबकी जांच होगी। बिहार में पिछले दिनों करीब 30 दिनों में पुल-पुलिया गिरने और डायवर्जन बह जाने की दो दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुईं। इसे लेकर नीतीश सरकार विपक्षियों के निशाने पर रही। आरजेडी प्रमुख लालू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला। सत्ता और विपक्ष दोनों ओर से जमकर राजनीति हुई।

पुल-पुलियों के जांच की जिम्मेदारी विभाग के सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता के अलावा केन्द्रीय रूपांकण, शोध एवं गुणवत्ता नियंत्रण के मुख्य अभियंता को दी गयी है। उनसे कहा गया है कि क्षेत्रीय स्तर से एनओसी में निहित शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट लेकर मुख्यालय को समर्पित करें। इसके पहले पांच वर्षों के लिए जांच का निर्णय लिया गया था, लेकिन समीक्षा में यह बात सामने आई कि गड़बड़ी की आशंका इसके पहले की भी हो सकती है।

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विभाग यह देखेगा कि जिन विभागों या जिलों में पुल-पुलियों का निर्माण हुआ है, उसको दिये गए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) की शर्तों का कितना अनुपालन किया गया है। तय मानकों का पालन किया गया है या नहीं? शर्तों का उल्लंघन किया गया है तो वह कितना है? उसका क्या प्रभाव पड़ा है? सरकार इस मामले में इसलिए भी गंभीर है कि पिछले दिनों पथ निर्माण विभाग ने सभी पुलों की ऑडिट भी कराई है। इनमें पुल निर्माण निगम ने 1700 पुलों की ऑडिट की है।

पिछले कुछ माह में कई पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें आई

दरअसल, पिछले कुछ माह में कई पुल-पुलियों के क्षतिग्रस्त होने की खबरें आई हैं। इसको लेकर सरकार बेहद सख्त है। पहले उसने सभी पुल-पुलियों का सर्वे कराया है। अब उनको दिये गए एनओसी की जांच का निर्णय लिया गया है। फिलहाल विभाग के पास यह जानकारी भी नहीं है कि जितने निर्माण हुए, उसमें तय मानक और शर्तों का अनुपालन किया गया है या नहीं? पिछले दिनों विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला हुआ था। बैठक में विभाग के सभी उच्चाधिकारी शामिल हुए थे।

महत्वपूर्ण तथ्य

● वर्ष 2014-15 में सरकार ने पुल-पुलियों समेत नदियों-नहरों पर संरचना निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य बनाया था। ऐसे में किसी विभाग को निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेनी पड़ती है।

● विभाग के अनुसार कई मामलों में विभाग से बगैर सहमति लिए ही पुल बना दिए जाते हैं। कुछ मामले में स्थानीय निकाय से एनओसी ले ली जाती है। या फिर जो एनओसी ली जाती है, उसका पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया जाता है।

● विभागीय स्तर पर जांच नहीं होने से नदी की धारा के संबंध में अध्ययन नहीं हो पाता। इस वजह से बाढ़ के समय कई तटबंध कट जाते हैं। ऐसे में विभागीय अनुमति अनिवार्य बनाया था। इसमें एनओसी से पहले स्थल निरीक्षण का भी प्रावधान है।

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