नीतीश सरकार ने 74 हजार लोगों को बांट दिए 2900 करोड़ रुपये, एमएसएमई पर फोकस
नीतीश सरकार बिहार में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर योजनाएं चला रही हैं। मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत अब तक 74 हजार से ज्यादा लाभार्थियों को 2900 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं।
बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य में उद्योग एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बड़े स्तर पर योजनाएं चला रही हैं। राज्य में 50,530 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त करने के बाद अब सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने लिए लगभग 74,540 लाभार्थियों के बीच करीब 2900 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। इससे राज्य की समग्र आर्थिक वृद्धि होगी। यह राशि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और बिहार लघु उद्यमी योजना के तहत दी गई।
उद्योग विभाग की सचिव वंदना प्रेयसी ने गुरुवार को समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिहार में अब तक इन दो योजनाओं के तहत 74 हजार से ज्यादा लोगों को लाभ दिया जा चुका है। इनमें से एक योजना तो पिछले साल ही शुरू की गई थी।
उन्होंने कहा कि बिहार में एमएसएमई का एक मजबूत आधार है। इसे बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए नीतीश सरकार द्वारा 2018 में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना (एमएमयूवाई) और 2023 में बिहार लघु उद्यमी योजना (बीएलयूवाई) की शुरुआत की गई। एमएमयूवाई के तहत 2018 से अबतक 34,441 लाभार्थियों को कुल 2,697 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं। वहीं, बीएलयूवाई के जरिए 40,099 लाभार्थियों को पहली किस्त के जरिए 200 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार लघु उद्यमी योजना का उद्देश्य उन गरीब परिवारों के कम से कम एक सदस्य को रोजगार के अवसर प्रदान करना है, जिनकी मासिक आय 6,000 रुपये मासिक से कम है। सरकार का उद्देश्य जागरूकता, प्रशिक्षण और सहायता के माध्यम से एमएसएमई को बढ़ावा देना है। एक ओर बिहार को प्रमुख विनिर्माण इकाइयों के लिए बड़े निवेश प्राप्त है रहे हैं, दूसरी ओर राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए एमएसएमई को बढ़ावा देने की दिशा में सतत प्रयास कर रही है।
सचिव वंदना प्रेयसी ने बताया कि पिछले साल दो दिवसीय मेगा बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023 के दौरान एक उल्लेखनीय उपलब्धि सामने आई। इसमें 278 कंपनियों ने कुल 50,530 करोड़ रुपये के निवेश के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। कई बड़ी कंपनियों ने बिहार को अपने पसंदीदा डेस्टिनेशन के रूप में चुना था।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति (बीआईपीपी), बिहार लॉजिस्टिक्स नीति 2023, एथनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021 और कपड़ा और चमड़ा नीति-2022 लागू की है। इन नीतियों के तहत, 481 आवेदनों को चरण-1 की मंजूरी दी गई, जिसमें प्रस्तावित निवेश राशि 4,512.85 करोड़ रुपये थी। कुल 175 इकाइयों को 2,195.10 करोड़ रुपये की निवेश राशि के साथ वित्तीय प्रोत्साहन के लिए मंजूरी दी गई, जो राज्य निवेश प्रोत्साहन नीतियों की शुरुआत के बाद से अबतक का सबसे अधिक है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में स्टार्टअप इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। 2023-24 में राज्य में 255 स्टार्टअप को मान्यता दी गई। इन स्टार्टअप को शुरुआती पूंजी के रूप में कुल 11.92 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। साथ ही अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक, बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (बियाडा) ने 427 इकाइयों को भूखंड/शेड (492 एकड़ भूमि) आवंटित किए हैं और इससे राज्य में 35,224 रोजगार पैदा हुए।